Monday, February 15, 2010

दुआ कीजिए.........

शिकायत किसी से क्या कीजिए।
खुद अपना दामन बचा लिजिए।

बहुत धोखा खाया है चेहरों से हमने,
मुखौटा ये अपना हटा लीजिए।

पहचानते हैं हम भी अपना पराया
ऐसे ख्याल ना भीतर पालीए।

कदम अब संभल कर हम रख रहे हैं,
मंजिल तक पहुँचे दुआ कीजिए।

20 comments:

  1. बढ़िया...गज़ल तो नहीं कह रहे हैं इसे..मगर भाव उम्दा हैं.

    ReplyDelete
  2. bबाली जी बहुत अच्छी रचना है । हमारी दुयाएं हैं कि आप मंजिल तक जरूर पहुँचेंगे। धन्यवाद्

    ReplyDelete
  3. बहुत बढिया रचना है .. ऐसी भावनाएं हो तो मन को तकलीफ नहीं पहुचती है !!

    ReplyDelete
  4. "बेहतरीन रचना.."
    प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. आमीन ........
    बहुत सटीक लिखा है .... किसी से क्या शिकायत कीजिए ....

    ReplyDelete
  6. बाली जी किद्दां हो .....??

    दुआ है तुहाडे लई .......!!

    ReplyDelete
  7. वाह वाह मज़ा आ गया बहुत जोश भर दिया वैसे हम तो पहले भी यही दुआ कर रहे थे

    ReplyDelete
  8. बहुत धोखा खाया है चेहरों से हमने,
    मुखौटा ये अपना हटा लीजिए।
    ---------
    वाह!

    ReplyDelete
  9. सुन्दर भाव...उम्दा रचा आपने.


    ......................................
    "शब्द-शिखर" पर इस बार अंडमान के आमों का आनंद लें.

    ReplyDelete
  10. बहुत खूब

    सुन्दर रचना मिसरे अच्छे है
    आभार ...............

    ReplyDelete
  11. Adaraneeya Balee jee,
    apakee is gajal ka to hara sher lajavab hai...sundar bhavanaonkee abhiyakti.
    Poonam

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।