Monday, May 31, 2010

बहुत सताया गर्मी ने......

                                             (चित्र गुगुल से साभार)
रिम-झिम रिम-झिम बरसा बादल,
बहुत सताया सूरज ने...
सब के तन मन आग लगी है,
बहुत सताया गर्मी ने....

ऊपर वाले अब तो सुन ले,

तू अब तक क्यों सोया है।
महँगाई की मारे खा के,
निर्धन अक्सर रोया है।
तू भी क्यों उस को है रूलाता,
पेश आ उस से नर्मी से।
रिम-झिम रिम-झिम बरसा बादल,
बहुत सताया सूरज ने...
सब के तन मन आग लगी है,
बहुत सताया गर्मी ने ।


गर्मी के कारण यह बंदा,
सूझबूझ सब खो बैठा है।
मत दे अब यह भुगत रहा है
बीज ही ऐसा बो बैठा है।
छोटे छोटे स्वार्थ के कारण,
देश का हित यह खो बैठा है।
वादों पर वादा कर कर नेता,
हसँता है बेशर्मी से।
रिम-झिम रिम-झिम बरसा बादल,
बहुत सताया सूरज ने...
सब के तन मन आग लगी है,
बहुत सताया गर्मी ने....।

साठ बरस मे पीने का पानी,
देश को ना यहाँ मिल पाया।
मिल बाँट कर नेताओ ने,
बहुत लूट कर है खाया।
अब तो होश मे आओ जनता,
सो ना सकोगे गर्मी में।
रिम-झिम रिम-झिम बरसा बादल,
बहुत सताया सूरज ने...
सब के तन मन आग लगी है,
बहुत सताया गर्मी ने....।

इस गर्मी ने मुझ से देखो..
क्या क्या है यहाँ बुलवाया।
ऊपरवाले से बस कहना था..
बरसा बादल, दे छाया।
तन मन के सब ताप हरे जो,
दे निजात इस गर्मी से।
रिम-झिम रिम-झिम बरसा बादल,
बहुत सताया सूरज ने...
सब के तन मन आग लगी है,
बहुत सताया गर्मी ने....

25 comments:

  1. अच्छी भावाभिव्यक्ति.

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  2. ...बहुत सुन्दर, प्रसंशनीय !!!

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  3. हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है
    क्या गरीब अब अपनी बेटी की शादी कर पायेगा ....!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/05/blog-post_6458.html
    आप अपनी अनमोल प्रतिक्रियाओं से  प्रोत्‍साहित कर हौसला बढाईयेगा

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  5. बहुत खूब इस गर्मी ने तो हद कर दी है और इसका असर आपकी कविता में झलक रहा है

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  6. गर्मी में फुहारों के चित्र मात्र से मन हर्षित हो गया...काश ये तपन जल्दी मिटे

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  7. इस तस्वीर का हकीकत में बदलने का इंतज़ार है बेसब्री से ।

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  8. वत्स
    सफ़ल ब्लागर है।
    आशीर्वाद
    आचार्य जी

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  9. गर्मी का अहसास कराती बढिया रचना है बाली जी....
    आभार्!

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  10. गर्मी पर लिखी रचना जहाँ सूरज से डराती है वहीँ बारिश मन को आनन्द से भिगो देती है चित्र में..

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  11. वाकई, इस बार गरमी ने लोगों को बहुत सताया.

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  12. लगता है दिल्ली वालों की तो उपर वाले ने सुन ली है ... बारिश का अंदेशा है ...
    अच्छी रचना है बहुत ... गर्मी में थोड़ी राहत देती है ...

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  13. दूसरा वाला छंद बहुत लाजबाब है ! सुन्दर रचना !

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  14. क्या सुन्दर लिखा है! गर्मी और महंगाई को मिलकर. बड़ी अच्छी कविता बन गई है. बहुत बहुत बधाई.

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  15. मुझे गर्मी का मौसम बहुत अच्छा लगता है। बचपन में इस मौसम के आते ही मैं खुश हो जाया करता था।
    छुट्टी जो मिलती थी भाई।

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  16. बहुत सुन्दर रचना है ,,,पहली बार ब्लॉग पर आया बहुत प्रसन्नता हुई ,,,बहुत अच्छा लिखते हो बधाई

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  17. सच कहा आपने इस गर्मी ने बहुत सताया । अच्छी रचना । आभार

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  18. गर्मी का अति उत्तम वर्णन....

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