Sunday, July 11, 2010

नमस्ते तो ठीक है लेकिन पहले..........



हमारे पड़ोस मे एक माता जी रहती हैं.....वैसे उम्हें माता जी कहना ठीक नही लगता। क्योकि  वे मुझे भाई साहब कहती हैं। अब यह बात अलग है कि उनके बड़े बेटे की उमर मुझ से दो-चार साल ज्यादा ही है। सो मुझे शुरू मे तो अजीब लगा लेकिन अब तो इतना अभ्यस्त हो गया हूँ...कि अब कोई फर्क नही पड़ता...।

बुढ़ा तो हम वैसे ही गए हैं....इस लिए अब तो सब चलता है.......कोई बराबर की उमर का अंकल जी कह दे तो भी।....वैसे इस मे उन बेचारों का भी कोई दोष नही है......अब जब हम पचास-बावन. कि उमर मे भी सत्तर-अस्सी के दिखेगे तो यह सब तो होना ही हैं। सो अब कोई चिंता नही होती......कोई कैसे भी बुलाये। खैर, बात तो हम माता जी कर रहे थे और सूरू हो गए अपनी सुनाने के लिए।....अब तो आप भी हमारी इस बात से समझ गए होगें कि हम सच मे ही बुढ़ा ही गए हैं....।वर्ना एक बात शुरू कर के उसी मे दूसरी बात ना सुनाने लगते।वैसे भी जब कोई इंसान इस तरह करता है तो समझ लो की बुढ़ा गया है या फिर बुढ़ानें वाला है ।

हाँ..तो वह जो माता जी हैं उन का मकान गली में कोने का है। सो जो भी आता है अपनी कार लेकर या स्कूटर लेकर.......वही उन के घर के सामने खड़ा कर के चुपके से खिसक लेता है....।जब माता जी बाहर निकलती हैं...तो परेशान हो कर चिल्लाना शुरू कर देती हैं.....।लेकिन लोग भी इतने ढीठ हैं..कि उन पर कोई असर नही होता।  एक तो माता जी अपने बेटे बहू से वैसे ही दुखी हैं.....दूसरे यह लोग-बाग उन्हे और दुखी कर देते हैं। माता जी अक्सर अपना रोना मेरे सामने रोती रहती हैं.....उनका बेटा हुआ ना हुआ बरबर ही है.......जरा जरा सी बात पर माँ को गालीयां निकालने लगता है....धकियाता है।बहू और उन के बच्चे ऐसे हैं....जिन्हें वह बचपन में सारा दिन खिलाती रहती थी....अब माता जी के आस-पास भी नही फटकते और बहू ऐसी है कि कभी सीधे मुँह उस से कभी बात ही नही करती।......अब तो माता जी को बहू-बेटे ने एक अलग कमरे में पटक दिया है.....जिस मे ना तो बिजली-पंखा है......और पानी माता जी पड़ोस के घर से भरती हैं। बेटा पानी तक नही लेने देता। शुरू शुरू मे तो बेटे को सभी ने समझाने की कोशिश की थी......लेकिन जब वह समझने को ही तैयार नही तो कोई क्या करे?

अब इस आलेख को लिखते हुए तो हमें भी पूरा विश्वास हो चुका है कि हम बुढ़ा ही गये हैं।वर्ना जो घटना या बात आप से कहना चाहते हैं.सीधे उसी की बात ना करते? हुआ ऐसा कि एक बार हमारे पड़ोसी को सूझी कि माता जी के घर के आगे अपनी कार खड़ी करनी शूरू कर दे.....सो वह महाशय अब रोज सुबह साम माता जी को नमस्ते व वरण स्पर्श करने लगे।...जब उन्होनें  अपनी ओर से समझ लिआ कि माता जी अब उन से कूब हिलमिल गई हैं....तो अगले दिन अपनी कार उनके दरवाजे पर खड़ी करने की गरज पहले तो उनका चरण स्पर्श किया फिर नमस्ते कर चलने को हुए तो माता जी ने कहा- "नमस्ते तो भैया ठीक है.....लेकिन पहले यह अपनी कार यहाँ से हटा लो..." यह सारा तमाशा आस-पास और लोग भी देख रहे थे...अत: सभी के चहरे पर एक हल्की सी मुसकराहट फैल गई थी।सो वह महाशय अपनी इज्जत का इस तरह कबाड़ा होता देख कर वहाँ से कार ले तुरन्त नौ दो ग्यारह हो गए। उस दिन के बाद उन महासय को कभी माता जी को नमस्ते करते नही देखा गया।

उन महाशय के जाने के बाद माता जी...हमारे पास आई और बोली-
"भैया!..ये लोग बड़ो को बेवकूफ समझते हैं.....सो अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से बहलाना चाहते हैं।.....अरे ! जब तुम्हारे पास कार पार्क करने की जगह ही नही है तो कार लेते क्यों हो?"

माता जी बात सुन कर मै भी यह सोचने पर मजबूर हो गया कि माता जी बात तो सहि कह रही हैं.....आज लोगों ने इतनी  कारें खरीद ली हैं....कि घर से बाहर निकलना कई बार मुश्किल हो जाता है..आए दिन कार पार्क करने को लेकर लोग झगड़ते रहते हैं.....।पुलिस तक बात पहुँच जाती है कई बार तो... और  सरकार को यह सब नजर नही आता। वह सब्जी वालों और रेहड़ी वालों को तो जब तब लताड़ लगाती रहती है लेकिन इस समस्या की ओर से सदा आँखें मूदें रहती है.....वोट का सवाल जो है.....

24 comments:

  1. वोट से बड़ा कुछ नहीं....

    ReplyDelete
  2. नमस्ते भी आज कल लोग बिना मतलब के नहीं करते। अगर कोई कर भी ले तो सोचते हैं कि अब यह कोई काम बताएगा।

    राम राम

    ReplyDelete
  3. जो पार्किंग स्कूटर इत्यादि के लिये बनी थीं वहाँ कारें खड़ी हो रही हैं । माता जी का कहना ठीक है ।

    ReplyDelete
  4. ऐसे ही हादसे से अभी 2-4 हो कर चुकी हूँ…………क्या करें बुरा हाल है।

    ReplyDelete
  5. aapne ek post me kai mudde uthae.........
    Matajee kee dayneey sthitee pad dukh huaa.........ishwar santano ko satbuddhee de..........

    ReplyDelete
  6. कुल मिलाकर ये है कि स्थिति ठीक नहीं है ।

    ReplyDelete
  7. एक बेहद ही अच्छा विषय लिया है आपने. आज कल जब देखो जहाँ देखो कार पार्किंग को ले कर झगड़ा होता रहता है हमारे पड़ोसी तो जब तब लड़ लेते हैं.जहाँ तक नमस्ते की बात है बिलकुल सच है आजकल तो मतलब का जमाना है अपने मतलब पर नमस्ते तो छोड़ कुछ भी कर सकते हैं

    ReplyDelete
  8. अभी एक चार साल के बच्चे ने मुझे अंकल कह दिया था.... बहुत टेंशन हो गई थी.... मुझे.... संस्मरण रुपी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....

    ReplyDelete
  9. वैसे बुढ़ा तो गये हो, तब काहे नहीं मान लेते. हा हा!!

    ReplyDelete
  10. नमस्ते जी,
    चिन्ता मत करिये, हमारे पास कार नहीं है।

    ReplyDelete
  11. लो हम भी बुढा गये हैं एक टिप्पणी देने चले ही आये। नमस्ते जी। अब आप ये तो कह नही सकते कि टिप्पणी हटा लीजिये____ । हा हा हा ।

    ReplyDelete
  12. नमस्ते जी,
    माता जी का कहना ठीक है। सही लिखा आपने।

    ReplyDelete
  13. aapne mata ji ki baat ka samarthan main bhi karti hun.kyon ki aaj kal bina matlab ke koi kisi ko ghas nahi dalta hai.matlab ka jamanajo hai.
    poonam

    ReplyDelete
  14. badhiya........:)
    mere ko uncle agar koi kahe, to mere shrimati jee ko achchha lagta hai, aur agar wo uncle kahne wali koi female ho to khushi jayda badhh jati hai........:D

    ReplyDelete
  15. शायद वो दिन दूर नहीं जब एक कमरे से दुसरे कमरे में भी लोग कार ले कर ही जाएँ.

    जहाँ तक बात सरकार की है तो फिर....

    ReplyDelete
  16. आपकी नई पोस्ट का इंतज़ार है....

    ReplyDelete
  17. मतलब का संसार है ।इसी पर एक शेर याद आ गया-

    दिले नादान सब धोखा है
    ये दुनिया एक धोखा है
    यहाँ कौन किसी का है !!

    ReplyDelete
  18. आपने एक सही समस्या की ओर इंगित किया है. कार पार्किंग ही नहीं, सडकों पर बहुत अधिक कारें आना भी एक समस्या हो गया है.मैं ऐसे कुछ लोगों को जानता हूँ जो समुचित पार्किंग व्यवस्था न होने के कारण कार नहीं खरीद पा रहे हैं.

    ReplyDelete
  19. अपना इर्द-गिर्द पड़ोस अक्‍सर नजर-अंदाज हो जाता है. खुली आंख का खुले दिल से बयान.

    ReplyDelete
  20. बहुत बढ़िया...
    एक समस्या को बताते हुए बहुत शानदार तरीके से दूसरी समस्या भी बता डाली...

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।