Saturday, August 4, 2012

मुक्तक



रात है सुनसान दीपक हवा से लड़ रहा।
कौन जीतेगा यहाँ दूर से कोई तक रहा।
तेरी मर्जी हो तो यह सुबह देखेगा जरूर-
आस में बैठा हुआ कोई बाट तेरी तक रहा।

12 comments:

  1. आशा का दीप जलते रहना चाहिये। बहुत सुन्दर।

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  2. वाह...
    बहुत सुन्दर मुक्तक...
    लाजवाब!!!

    सादर
    अनु

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  3. जाजवाब..्सुन्दर प्रस्तुति..

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  4. आशा ही है जो जीवंत बनाए रखती है ... सुंदर मुक्तक

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  5. बहुत सुंदर मुक्तक.

    बधाई बाली जी.

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  6. आशा का दीपक जलता रहे ।
    सुंदर मुक्तक, संकट में राह दिखाता सा ।

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  7. दिया तले अधेरा पर सभी को प्रकास देने की कवायद उत्‍तम प्रस्‍तुति

    यूनिक तकनीकी ब्लाग

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