Wednesday, November 21, 2007

क्षणिकाएं

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एहसान
तुम मेरी बात पर
कभी ना नही कहना।
मेरे बोझ को सदा
अपना समझ
सहना।

२.
सरकार
वादे और सपनें बेचनें की कला
सिर्फ
अपना भला।

३.
नेता
कुत्तों का मालिक
जनता का लुटेरा
एक बड़े घर में
जबरन
डाले है डेरा
४.
वामपंथी
इन के झंडें का रंग लाल
इन के मुँह का रंग लाल
इन का भोजन का रंग लाल
फिर भी कुर्सी पर बैठें हैं।
इसे कहते हैं हमारे देश में
प्रजातंत्र
है ना कमाल!!!

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3 comments:

  1. प्रजातंत्र मे कुर्सी पर बैठने का ठेका सिर्फ़ नेताओ ने ले रखा है. यह इनका जन्म सिद्ध अधिकार है बहुत बढ़िया .

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  2. अच्‍छी छडि़काऐं है, बधाई।

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  3. बहुत बढ़िया.अच्छा व्यंग्य.

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