Monday, March 10, 2008

कोई बता दे......



धड़्कनें कुछ कह रही हैं आज तुमसे,
प्यार की दुनिया चलो फिर से बसा लें।
दुश्मनों ने जो उजाड़ा घर हमारा,
नींव कुछ गहरी करें,फिरसे बना लें।

ख्वाइशे हर शख्स करता हैं यहाँ पर,
पूरी कहाँ होती सभी की,यह बता दे।
सपनों को सजाना, तमन्ना सभी की,
रूकती नही क्यूँकर ,मुझको बता दे।

सहर हकीकत को ब्यां करता रहा है,
फिर क्यूँ शब में रहते हैं सपने सजाते।
आदमी फितरत कैसे छोडे अपनी,
तन्हाइयों में रहते हैं आँसू बहाते।

भूल जाओ उनको जो छोड़ जाते,
भूलते कैसे हैं ,हमको कोई बता दे।
कर सके जिस दिन,नयी वो सहर होगी
परमजीत ना कोई हमें वह दिन दिखा दे।



5 comments:

  1. ख्वाइशे हर शख्स करता हैं यहाँ पर,
    पूरी कहाँ होती सभी की,यह बता दे।
    सपनों को सजाना, तमन्ना सभी की,
    रूकती नही क्यूँकर ,मुझको बता दे।
    simply beautiful,everyone has wishes but not all become true.sundar geet

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  2. बहुत सुन्दर, परमजीत भाई...आनन्द आ गया.,

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  3. दुश्मनों ने जो उजाड़ा घर हमारा,
    नींव कुछ गहरी करें,फिरसे बना लें।

    bahut achcha...

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  4. धड़्कनें कुछ कह रही हैं आज तुमसे,
    प्यार की दुनिया चलो फिर से बसा लें।
    दुश्मनों ने जो उजाड़ा घर हमारा,
    नींव कुछ गहरी करें,फिरसे बना लें।

    Very beautifully written!

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  5. भूल जाओ उनको जो छोड़ जाते,
    भूलते कैसे हैं ,हमको कोई बता दे।
    कर सके जिस दिन,नयी वो सहर होगी
    परमजीत ना कोई हमें वह दिन दिखा दे।
    -------------------------------
    यादों से तोड़ लो दोस्ती
    भूलने की जहमत क्यों उठाते हो
    समय के साथ चलते जाओ
    जो छोड़ गए साथ उनको क्यों बुलाते हो
    दीपक भारतदीप

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