Tuesday, February 10, 2009

दर्द

आदमी अब हाड़ मास का नही रहा।
आज के वक्त ने हमसे यही कहा ।
अब उसकी रगो में लहू नही बहता,
अब वह अपनों की बात भी, नही सहता।

आज जीवन यही रंग दिखा रहा है
इसी लिए हरेक आदमी
सबके सामने मुस्कराता है।
लेकिन अकेले में आँसू बहा रहा है।

रिश्तों के मायनें अब पैसा है
इस से कोई फरक नही पड़ता
वह सफेद हो या काला,
कैसा है ?

धन है तो तुम मा-बाप भी हो ,
बेटा-बेटी और बहन- भाई भी।
तब प्यारी है जग हँसाई भी।

यह दुनिया की नही
मेरी अपनी कहानी है।
इन्सां ऐसा कैसे हो गया
इस बात की हैरानी है।

19 comments:

  1. " ये दुनिया की नही मेरे कहानी है..."
    "अति सुंदर ना जाने कितने इंसानों की कहानी है ये मगर इसको कुबल करना आसन नही..."

    Regards

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  2. BAHOT HI BADHIYA TARIKE SE DUKH KO UKERA HAI AAPNE BAHOT HI SUNDAR BHAV,...
    DHERO BADHAI AAPKO,,,


    ARSH

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  3. sach ye har insaan ki kahani hai,bahut sundar tarike se dard ko pesh kiya hai badhai.

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  4. बहुत यथार्थ अभिव्यक्ति है

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  5. यह कड़वा सच आज अधिकाँश लोगों का दर्द बन
    गया है, पैसे ने जीवन की दिशा बदल दी है..........

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  6. bahut sundar shabdon mein dhala hai dard ko aapne jiski dawa bhi nhi koi kyunki har kisi ki yahi kahani hai

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  7. शब्दों का जादू है. सुंदर रचना. आभार.

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  8. दुनियादारी है पैसे की, क्या इसमें हैरानी ?
    जग का मायाजाल यही है, सबकी यही कहानी।

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  9. रिश्तों के मायनें अब पैसा है

    पैसे की तराजू में आज कर हर चीज तुलती है, रिश्ते, नाते. फ़िर ये महत्त्व हीन है की पैसा कहाँ से आया ..........ज्वलंत कविता

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  10. बहुत कड़वी है पर यही सच्चाई है।

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  11. बेहतरीन कविता बाली जी, बधाई...

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  12. Adarneeya Bali ji,
    apne admee ke madhyam se jeevan kee sachchai dikhai hai.shubhkamnayen.

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  13. वाकई, हैरानी होती है. उम्दा रचना.

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  14. baali saheb ,

    main ye kahun ki ye rachan aapki sarveshreshta rachnao me se ek hai to atishyokti nahi hongi

    यह दुनिया की नही
    मेरी अपनी कहानी है।
    इन्सां ऐसा कैसे हो गया
    इस बात की हैरानी है।ँ

    kya baat hai ,

    aapko aur aapki lekhni ko salaam

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