Saturday, December 20, 2008

मैं प्रतिक्षा कर रहा हूँ


बड़े नाम वालों के
छोटे काम भी
बड़े नजर आते हैं।
इसी लिए हमेशा
छोटे मारे जाते हैं।
तुम भी मुस्कराते हो।
हम भी मुस्कराते हैं।
******************
जरूरी नही है
तुम्हारा गीत कोई सुनें।
लेकिन सभी गाते हैं।
खुशी,गमी या तन्हाईयां
सभी को सताते हैं।
तुम जरूर गाओं
क्यों कि
पंछी भी गाते हैं।
******************
यह एक मन की व्यथा है
जो हर बात को शुरू करके
अधूरा छोड़ देता है।
जैसे फूल को
पूरा खिलनें से पहले ही
माली तोड़ लेता है।
ताकी बाजार में उसकी
अच्छी कीमत मिल सके।
माला औ गुलदस्तों मे सजाता है।
हमारा जीवन भी इसी तरह जाता है।
**************************
लेकिन कुछ फूल
ऐसे भी होते हैं।
जो माली की नजर से
बहुत दूर होते हैं।
ऐसे फूल अक्सर
तन्हाईयों में रोते हैं।
क्यूँकि मुर्झा कर मरना
बहुत दुखदाई होता है।
क्यूँकि तब वह सिर्फ
घास-फूँस होता है।
******************
बहुत भूलना चाहता हूँ
उस के फैले हुए हाथों को।
दुबारा किसी के सामनें
फैलनें ना दूँ।
उस की बोलती आँखों में
जो याचना नजर आती है।
उसे हमेशा के लिए
उस से छीन लूँ।
लेकिन मुझे अपनी बेबसी पर
बहुत गुस्सा आता है।
मैं ऊपर वाले को ताकता हूँ।
पता नही वह कहाँ छुप कर बैठा है।
किस बात पर ऐठा है।
फिर अपनें आप से पूछता हूँ-
"कहीं वह भी मेरी तरह"
"लाचार तो नहीं।"
मेरे पास कोई जवाब नहीं।
यदि आप को कहीं
जवाब मिले तो बताना।
मैं प्रतिक्षा कर रहा हूँ।

19 comments:

  1. बहुत भूलना चाहता हूँ
    उस के फैले हुए हाथों को।
    दुबारा किसी के सामनें
    फैलनें ना दूँ।
    " बेहद भावनात्मक अभिव्यक्ति पीडा की..."

    Regards

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति....बधाई।

    ReplyDelete
  3. बहुत भावपूर्ण,सवेंदनशील अभिव्यक्ति... मर्म को छूती हुई रचनाएँ ...आभार...

    ReplyDelete
  4. क्या बात है बहुत सुन्दर और अच्छी है!
    काफी सुन्दर लगी उमीद कर्त्ता हूँ की आपसे ऐसे ऐसे और भी दील को छूने वाली रचना पढने को मिलेगे काफी भावनात्मक थी .आपको धन्यवाद ....

    ReplyDelete
  5. aapne itni bhavpoorn rachna likhi hai ki man dravit ho gaya ..

    dukh ki param abhiovyakhti hai ..

    aapko bahut dhanyawad aur badhai


    pls visit my blog for some new poems....

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

    ReplyDelete
  6. क्या खूब लिखा है आपने, बहुत गहरा, बहुत भावपूर्ण. आपको पढ़ना एक अनुभव होता है.

    ReplyDelete
  7. मंत्रमुग्ध कर लिया आपने

    ReplyDelete
  8. हृदयस्पर्शी,
    पढ़कर आपकी संवेदना, मर्म और एहसास का पता चलता है, मगर दिन बहुरेंगे की आस तो होनी ही चाहिए.
    आपकी संवेदना को प्रणाम

    ReplyDelete
  9. बहुत भूलना चाहता हूँ
    उस के फैले हुए हाथों को।
    दुबारा किसी के सामनें
    फैलनें ना दूँ।
    बहुत ही भावुक ओर सवेंदनशील अभिव्यक्ति दिल मे दुर तक उतर गई....
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. क्या गज़ब लिख गये महाराज!! वाह!!! बहुत उम्दा-आज आनन्द आ गया. मेरी बधाई.

    ReplyDelete
  11. very touching

    उस की बोलती आँखों में
    जो याचना नजर आती है।...

    very true..

    thanks

    ReplyDelete
  12. बहुत ही भावपूर्ण एवं मन की संवेदनाओं को व्यक्त करने वाली रचना.
    आभार

    ReplyDelete
  13. kya gajab ka likha hai bhai...
    bahut sundar rachna hai!

    ReplyDelete
  14. "khushu ghami ya tanhaayiya sbhi ko staate haiN, tum zroor gaao kyoke panchhi bhi geet gaate haiN..."
    mun ki har naazuq avasthaa ko byaan karti hui khoobsurat nazm..
    bahot khoob ! badhaaee !!
    ---MUFLIS---

    ReplyDelete
  15. bahut bhawnatmk abhivykti............
    kavita dil ko chu gayi
    badhai

    ReplyDelete
  16. meri prachi

    main aapni mohhabat kho chuka hu. mujhe usse koi sikayat nahi hai, wo mujhe chod kar chali gayi. par jab bhi mud kar dekhegi meri banhe uske liye hamesa khuli rahegi. meri wajah se usne bahut taklif sahe hai. ab aur nahi, tum jaha bhi raho sada khush raho silpi main tumhara aakhri sans tak intejar karunga.

    tumhara prashant (prt)

    ambikapur (c.g.)

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।