Wednesday, February 18, 2009

चंद मुक्तक बेवफा के नाम

सिर्फ यादो के सहारे जो जिया जाता।
बिन सुई-धागे गर कुछ सिया जाता
जिन्दगी कितनी हसीं हो जाती,
रोशन बिना बाती ये दीया होता।
*******
याद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
*******
याद उनकी क्यों जाती ही नही |
आँख को कोई शै भाती ही नही।
या रब बता ये माज़रा क्या है,
अपने लिए बहार आती ही नही।
********
घर उनका है समां उनका है
दरों दिवारो पे तस्वीरें उनकी।
हमें मालुम ना था जाने के बाद उनके,
साया उनका अभी यही रहता है।
********
कुछ लोग जबरदस्ती मेहमां बन आते हैं।
ना चाहते हुए भी दिल में बस जाते हैं।
ऐसे मेहमा से कोई पीछा छुड़ाए कैसे,
दीमक बन खोखला कर जाते हैं।
*********
उन के सपनों में हम कभी आते हैं के नही।
हम से सच बात दिल की बताते हैं के नही।
इसी सोच मे बीती है जिन्दगी अपनी,
अभी आते हैं, कह रहे है, आते हैं के नही।
**********

31 comments:

  1. har shabd bahut hi bhavpurna..........kya nhi kaha apne ismein,sab kuch kah diya.
    kuch yadein aisi hi hoti hain......baar baar jakar phir laut aati hain..........kuch ghar unhein khas pasand hote hain.

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  2. बहुत बढ़िया पठनीय रचना ..बधाई.

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  3. aadarniya bali ji

    mere paas taarif karne ke liye shabd nahi hai ..
    याद उनकी जब भी आती है|
    बेवफा थे, यही बताती है |
    भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
    यही बात हमको सताती है|

    kya behatreen likha hai ..
    wah ji wah

    dil se badhai sweekar karen

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  4. बहुत दिलकश रचनाएँ है आपकी बाली जी...बधाई..

    नीरज

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  5. अभी आते हैं कह रहे हैं, आते हैं कि नहीं....क्या अदा है भाई!! छा गये. बहुत खूब सारे मुक्तक.

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  6. बहुत बढिया रही
    आपकी ये बेवफाई ।

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  7. हर मुक्तक बहुत बढिया है.....

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  8. Adarnneeya Bali ji,
    bahut saral bhasha ke sath gathe huye shilp men likhe gaye muktak hain.badhai sveekaren.
    Hemant Kumar

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  9. प्रिय परमजीत,

    इस चिट्ठे पर आना हमेशा ही एक सुखद अनुभव रहा है. मैं अभी भी वे दिन नहीं भूला जब यह चिट्ठा चालू हुआ था. क्या सुखद दिन थे, क्या सुखद अनुभव था.

    इस मर्मस्पर्शी रचना के लिये आभार !!

    सस्नेह -- शास्त्री

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  10. mn ke andar.....
    kaheeN gehre-si nikli hui kisi
    bhaavnaatmak tees ka sundar izhaar
    achhe miktak . . . .
    badhaaee............
    ---MUFLIS---

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  11. याद उनकी जब भी आती है|
    बेवफा थे, यही बताती है |
    भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
    यही बात हमको सताती है|

    बेवफा तो बेवफा होते हैं उनसे कैसे शिकायत, आपने बहुत सुंदर कविता लिखी है
    कशमकश से भरी रचना

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  12. Bali ji tusi te baija baija kar diti ji...Bdhaiyan ji bdhaiyan...! pr tusi eh tasveer bdal deo te meharbani hovegi...!!

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  13. प्रेम ऐसा ही होता है.- बेवफा के लिए भी बावाफाई

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  14. वाहजी.. वाह.... वाहवा ...क्या बात है..!!

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  15. bahutbahdiya hai. agar kabhi waqt mile to mere blog par bhi aayen
    www.salaamzindadili.blogspot.com

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  16. sabhi muktak behad umda ........ bahot khub likha hai aapne... dhero badhai sahab aapko...


    arsh

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  17. बहुत सुंदर मुक्तक हैं। बधाई।
    महावीर शर्मा

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  18. is dard ki dwa nhi koi
    jis kisi ne ki mohbbat whi aankh roi.

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  19. कुछ लोग जबरदस्ती मेहमां बन आते हैं
    न चाहते हुए भी दिल में छ जाते हैं
    ........सुन्दर !!!

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  20. क्या उनको भी याद हमारी आती है,
    बेवफाई की है यह बात सताती है..?

    बहुत अच्छे मुक्तक !

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  21. बेहतरीन मुक्तक हैं, बाली जी। पढ़ कर आनंद आगया।
    याद उनकी जब भी आती है|
    बेवफा थे, यही बताती है |
    भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
    यही बात हमको सताती है|
    याद उनकी जब भी आती है|
    बेवफा थे, यही बताती है |
    भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
    यही बात हमको सताती है|

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  22. क्षमा कीजिएगा पिछले दिनों आ न सका । आपके मुक्तक पढ़े आप बहुत ही अच्छा लिख रहे हैं बधाई।

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