हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
मैं चाहता हूँ कि कुछ लिखूँ ।लेकिन मैं जब भी अपनी रचनाओं को कोपि करके बलोगर में पेस्ट करता हूँ तो उसकी भाषा रोमन अक्षरों मै बदल जाती है । किरपा इस कारण का निवारण बताएं ? मैनें जो रचनाएं लिखी हैं वे सभी गुरूमुखी हिन्दी लिपि में लिखी हैं।