जब भी कोई सच बोलता है
जो कभी सही लगता था।
वह भी गलत लगने लगता है।
सोचता हूँ -
या तो सच सुनना छोड़ दूँ
या फिर सोचना छोड़ दूँ।
लेकिन मेरे छोड़ देने से
कुछ बदल तो ना जायेगा।
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किसी ने मुझसे पूछा-
आदमी और जानवर में
क्या अंतर है?
बहुत सोचने के बाद भी
फर्क नही कर पाया।
दोनों एक-से लगते हैं।
इसका जवाब
एक बच्चे ने दिया-
"सिर्फ पूँछ का।"
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