अब और क्या कहे जब एतबार न हो।
किस से करें शिकायते जब बेवफा वो हो।
बस! निभाते चले गये जिन्दगी के दिन,
वो साथ थे हमारे... जैसे कोई ना हो।
इस लिए मौजूदगी उनकी नही खली,
खुद गिरे खुद उठ गये थामे भला क्यों वो।
हर बार थी उम्मीद मुझको ना जाने क्यों,
दिल में छुपे बैठें हो शायद कहीं पे वो।
जब हमने दिल की बात बताई यार को,
देखा उसने ऐसे जैसे कोई अजनबी वो हो।