(पुन: प्रकाशित)
घोटालों पर घोटालें सामने आते जा रहे हैं ।महँगाई की मार खा-खा कर भी अपने देश के लोग मूक दर्शक बने अपने घरों से अपने धंधों से थोड़ी -सी फुरसत पा कर कुछ कहने की तकलीफ नही उठाना चाहे। जनता देख रही है कि कोई विपक्ष की पार्टी कुछ हंगामा करती रहे और हम घर बैठे सही-गलत का आंकलन करते रहें। नुक्कड़ -चौराहों और दफतरों मे आपस मे बहसियाते रहें और देश को लूटने वाले देश को लूटते रहें।सब बराबर का दुख भोग रहे हैं. लेकिन घर से बाहर निकल कर हम इस भारी तकलीफ में भी कोई मोर्चा या अंदोलन करने की ओर नही बढ़ पा रहे हैं। कारण साफ है आज हममें से किसी को भी किसी एक नेता पर विश्वास नही है...कोई भी ऐसा नेता नही है जो देशहित -जनहित मे देश की जनता के सामने खरा उतरता हो।
दूसरी और देश के विभिन्न संगठन भी ना जानें कानों मे रूई डाल कर कहाँ सोये हुए हैं। उन्हें देश की जनता की तकलीफ बिल्कुल नजर नही आ रही। ऐसा लगता है कि इन सभी ने अपनी अपनी आँखों पर पट्टी बाँध रखी हैं...सभी सूरदास की भूमिका निभा रहें हैं।आप सब यह देख कर हैरान हो सकते हैं जो इस समय अंधे-बहरों की भूमिकायें निभा रहे हैं ..यदि इन्हें अभी कोई दंगा या तोड़ फोड़ करनी हो तो ये सारे काम छोड़ कर ऐसी -ऐसी तुछ बातॊं पर बवाल मचा सकते हैं जिन बातों का देश की जनता से या किसी की दुख तकलीफ से दूर -दूर तक का कोई नाता नही होता। अपने आप को देश का हितेषी बताने वाले संगठन और राजनैतिक पार्टीयां इस समय एक दूसरे की टाँग खींचने में ....एक दूसरों को नीचा दिखानें की होड़ मे व्यस्त हैं। उन्हें इस बात की चिंता है कि उनकी बात मानी जाये।भले ही यह बात देश की जनता को कोई फायदा पहुँचा सकती हो या नहीं।इस बात से इन्हें कोई सरोकार नही लगता।सभी एक दूसरों को अपने से बड़ा चोर.....अपने से बड़ा भ्रष्टाचारी साबित करनें की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।देश की जनता भी सोच रही है और यह तमाशा खामोशी से देखते हुए सोच रही होगी कि इन सब से देश को क्या फायदा मिलने वाला है।किसी के चोर और भ्रष्ट साबित हो जाने से कुछ होने वाला तो है नही। फिर कोई जाँच कमेटी का गठन हो जायेगा...और सालों तक वह कमेटी जाँच करती रहेगी और देश को बेफकूफ बनाती रहेगी और आखिर मे इतना ज्यादा समय जाँच में लगा देंगें कि देश की जनता यह भी भूल जायेगी कि आखिर ये कमेटी किस जाँच के लिये गठित की गई थी। वैसे भी यह हमारे देश का इतिहास रहा है कि ऐसी किसी भी जाँच कमेटी ने आज तक ऐसा कोई फैसला ही नही दिया जिस से किसी अपराधी या दोषी को कोई सजा हुई हो। फिर बार-बार ऐसी जाँच कमेटीयों का गठन कर के देश की जनता का पैसा क्यों बर्बाद कर रही हैं ये देश भक्त पार्टीया!!
यदि हमारे देश की सभी राजनैतिक पार्टीयां एक कानून पास कर दे तो हमारे देश से यह चोर बाजारी व भ्रष्टाचार काफी हद तक दूर हो सकता है।आप सोच रहे होगें कि ऐसा कौन -सा कानून बनाया जा सकता है? क्योंकि हमारे देश के कर्णधार इतने शातिर हैं के वे कोई ना कोई ऐसा तोड़ निकाल ही लेते हैं जिस से काला कारनामा कर के भी बचा जा सके।यदि देश की जनता जागरूक होकर एक ऐसा दबाव इन सभी पार्टीयों पर डाल कर यह कानून बनवा सके कि---
जिस पार्टी के सदस्य देश का धन हड़प करते है...खा जाते हैं वही पार्टी उस धन को देश के खजाने में जमा करवाने के लिये बाध्य होगी।दूसरा-- ऐसे भ्रष्ट नेता या पार्टी के सदस्य को या उसके परिवार के किसी सदस्य को कभी भी देश में किसी पार्टी की सदस्यता नही दी जा सकेगी।उसे चुनाव मे खड़ा होने का कोई अधिकार नही होगा।--
देश की जनता व पार्टीयों के लिये भी ये कानून पास कर दिया जाये कि जो भी कोई देश की संपत्ति को नुकसान पहुँचाएगा ....उसी को या उसकी पार्टी को उस नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी।
ऐसे मे हर्जाना वसूलनें के लिये जब ऐसे लोगों की संपत्ति जब्त होगी तो ऐसे लोगों की अक्ल ठिकानें पर आ सकती है।क्योंकि देश की जनता को दोषी को सजा होने से कोई लाभ नही होता। इस तरह के नुकसानों का भार अंतत: देश की जनता पर ही पड़ता है।
लेकिन मैं और आप सब जानते हैं कि ऐसा तभी हो सकता है जब देश में फिर से कोई मोहनदास कर्मचंद गाँधी पैदा हो और इस देश की जनता की अगुवाई करते हुए देश का हित साध सके।अब तक इस देश को नकली गाँधीयों से बहुत नुकसान पहुँचा है....इस लिये जब तक कोई असली गाँधी पैदा ना हो जाये हम सब को प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।