हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Wednesday, September 23, 2009
तेरा खुदा जो कह रहा...
तेरा खुदा जो कह रहा, मेरा खुदा नही मानता।
आदमी को आदमी, कोई नही, यहाँ मानता।
रूतबों औ’ धन से यहाँ, आदमी का मोल है,
आदमी का दिल यहाँ कोई नही पहचानता।
अपनी ही धुन में यहाँ ,चल रहे सब बेखबर,
कितनें गुल पैरों तले, कुचलें, नहीं कोई जानता।
देख सुन खामोंश है दुनिया बनानें वाला भी,
आज दुनिया को परमजीत वो नही पहचानता।
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आदमी को आदमी यहाँ कोई नहीं मानता ...आदमी बचे ही कितने हैं ...सब के सब आदमखोर हो गए हैं ..
ReplyDeleteअच्छी कविता ...शुभकामनायें ..!!
प्रस्तुति बहुत बढ़िया है।
ReplyDeleteबधाई!
अपनी ही धुन में चल रहे सब बेखबर.....
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियॉ।
बेहतरीन प्रस्तुति!
ReplyDeleteपरमजीत जी,
ReplyDeleteआठ पंक्तियों के चौंसठ शब्दों में आपने बहुत ही उम्दा काम कर दिखाया है...........
तेरा से आरम्भ हो कर पहचानता तक की यात्रा आपने कराई..........
ज़िन्दगी में और है ही क्या जानने के लिए ?
जिसने तेरा का मर्म पहचान लिया ......उसका मेरा सदा को मिट गया ..और मेरा ही मिट गया तो मेरा दर्द भी मिट ही गया.........
बधाई उम्दा कविता के लिए !
आज आदमी ही आदमी को भूल गये है..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल...बधाई..
badhiya prastuti.......badhayi
ReplyDeletesach me aadmi ka koi mol nahi......bas bhautik suvidhaaon ka lobh hai
ReplyDeleteपरमजीत जी
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने आदमी का कोई मोल नही है/बेहद गहरी अभिव्यक्ति!
बहुत ही सुन्दर सच्चाई को बयां करती यह रचना, आभार
ReplyDeleteआदमी को कोई आदमी नहीं मानता ! सच है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा आप ने आदमी को आदमी नही मानता,
ReplyDeleteधन्यवाद
एक बार फिर....... बेहतरीन प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteआदमी को आदमी कोई यहां नहीं मानता...
बेहतरीन।
sunder kavita hai..........
ReplyDeleteआदमी ने सब कुछ बांट लिये हैं - अपने अपने खुदा भी बांटे सबसे पहले!
ReplyDeleteआदमी की पहचान नहीं, आदमी का मोल नहीं,
ReplyDeleteहोए कुछ भी, रो ले पर मुहं से निकले बोल नहीं
ऐसी ही हो गयी है अब आम आदमी की जिंदगी. बहुत कुछ कह गए आप अपनी इस रचना के माध्यम से.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
bahut hi sunder likha hai
ReplyDeleteaapne
sanjay
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot,com