हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Saturday, October 17, 2009
फिर जल जाएँगे दीपक..........
फिर जल जाएँगे दीपक रात जरा गहरी होने दो।
पहले आँखों के आँसू को पूरा तो मुझको पीने दो।
बहुत लगन से देख रहा था सपनो का आकाश मैं
गहरे सागर में भटक रहा था मोती की तलाश में
मोती की चाहत में मुझसे कुछ ऐसा था छूट गया
मेरे जीवन के सब रंगों को जैसे कोई लूट गया
उस अभाव की जरा पूर्ति तुम पहले तो होने दो।
फिर जल जाएँगे दीपक रात जरा गहरी होने दो।
पहले आँखों के आँसू को पूरा तो मुझको पीने दो।
खेल समय का बड़ा निराला सबको खेल खिलाया है
एक हाथ से अमृत देता, दूजे से जहर पिलाया है
अमृत विष विष कब अमृत, जीवन में हो जाएगा
क्या कोई इस रहस्य को जरा हमको भी समझाएगा
कुछ ठहरो, जरा प्रश्न का उत्तर तो पहले आने दो।
फिर जल जाएँगे दीपक रात जरा गहरी होने दो।
पहले आँखों के आँसू को पूरा तो मुझको पीने दो।
संबधों के धागे हमको, क्यूँ अब कच्चे लगते हैं
बात हमारी जो ना माने क्यूँ सब बच्चे लगते हैं
धन दौलत के कारण सारे रिश्ते जीते मरते हैं
धोखा देते हैं लेकिन , दम विश्वास का भरते हैं।
विश्वास हमारा मर जाता है प्रतिकूल कोई, जब हो।
फिर जल जाएँगे दीपक रात जरा गहरी होने दो।
पहले आँखों के आँसू को पूरा तो मुझको पीने दो।
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बेहतरीन!!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
बाली साहब आपको बहुत बहुत बधाई हो दीपावली की ..और क्या खूब लिखा आपने..दोबारा से सक्रियता..बढिया लग रहा है
ReplyDeleteबढ़िया रचना..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसघन अनुभूति प्रदान कराने के लिये साधुवाद
ReplyDeleteदिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ
समसामयिक, भावपूर्ण बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteजगमग दीप जले घर आँगन आपस में हो प्यार।
चाह सुमन की घर घर खुशियाँ नित नूतन संसार।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
बाली जी जरूर जलेंगे फिर से दीपक बहुत सुन्दर रचना है आपको व परिवार को दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको भी दीवाली की शुभकामनाएं।
ReplyDeletebahut sunder manbhavan rachana,diwali ki bahut bahut badhai.
ReplyDelete"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में
ReplyDeleteदीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "
......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
बहुत अच्छी रचना !!
ReplyDeleteपल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
परमजीत जी,
ReplyDeleteअभिवंदन
सच के धरातल पर लिखी रचना में आपने आस पास के परिवेश के ही प्रश्नों को समाहित किया है. अच्छा लगा.
एक सकारात्मक सोच कि प्रस्तुति, आभार.
"दीपावली" पर्व की आपको सपरिवार मंगल भावनाएँ. आपका जीवन स्वस्थ्य ,शतायु और यशस्वी हो.
-विजय तिवारी " किसलय " जबलपुर ".
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभकामनाऐं"
ReplyDeletesundar rachna.........deepawali hi shubhkamnayein.
ReplyDeleteआज विश्वास का पर्व है। शुभकामनायें।
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteदीप पर्व की शुभकामनाएं
ReplyDeletehindi.indiawaterportal.org
paramjitjii hum sab aashaon per jite hain,moti'saagar ,jahar our aansuon kaa jabab
ReplyDeletejarur milega ---our gahri raat me nin per sandhaa me dweep jalegi ---
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteपरमजीत जी इतनी उदासी क्यूँ जरा एक दिया जलाइये देखिये अंदेरा कैसे भाग जाता है ।
ReplyDeletebahut saskakt bhavabhivykti
ReplyDeleteएक नन्हा दिया अपने आप को जलाकर अमावस को प्रकाशवान कर देता है |
आपको आपके परिवार को दीपावली मंगलमय हो |
शुभकामनाये बधाई
दीपावली की आपको और आपके परिवाजनों को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteक्या बात है! जोरदार कविता के साथ दीपावली की पावन पर्व की भी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
सुन्दर रचना है .......
ReplyDeleteये दीपावली आपके जीवन में नयी नयी खुशियाँ ले कर आये .........
बहुत बहुत मंगल कामनाएं .........
dhun me is geet ki shobha badh jayegi
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,दीवाली की आपको हार्दिक मंगल कामनाएं ।
ReplyDeletebahut hi sunder abhivyakti ke saath ek behtareen kavita.........
ReplyDeleteश्री परमजीत सिंह बाली जी!
ReplyDeleteइस सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई!
भइया-दूज की शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
Nihayat sundar rachna hai..ise apnee maa ko padh ke sunana chahungi!
ReplyDeleteJanam din kee badhayi ke liye bahut,bahut dhanywad! Aapko pata kaise chala?Mere profile me to kaheen zikr nahee hai !
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव है बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावमय प्रस्तुति, बधाई
ReplyDeleteबाली जी बेहतर लिखा है।
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति, समसामयिक........
ReplyDeleteबधाई.
देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.........
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
सुंदर रचना... वाह....
ReplyDelete"khel samay ka....."
ReplyDelete...bilkul sahi hai bhai !!
sukh ke bhesh main dukh aata hai.....
...dukh ke bhesh main sukh!!
saara khel samay ka...
is line ne isiliye vishesh taur par prabhavit kiya !!
एक अमूल्य रचना.
ReplyDeleteजारी रहें.
--
रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
आदरणीय बाली जी,
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत लगी आपकी ये रचना---हार्दिक बधाई।
पूनम
बाली जी मेरे आलेख को आपने पढा उल्टातीर पर धन्यवाद
ReplyDeleteमैने आपकी रचना पढी क्या कहु इस पर सबने पहले ही काफी कुछ लिख दिया है पर यह एक मर्मस्पर्शी रचना है दिल को छुने वाली.....