हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
सही बात है ! दरअसल ये कौम तो भिखारियों से भी निक्रष्ट है. वो बेचारे तो हालात के मारे हैं मगर ये किस के मारे कोई नहीं जनता ? गिरगिट की तरह रंग बदलना कोई इनसे सीखे . हैरत की बात है कि एक बार हाथ जोड़कर भीख मांगने के बाद पांच साल तक इनके दर्शन नहीं होते. यदि होते भी हैं तो वो जनता से ऐसे मिलते हैं जैसे किसी सल्तनत के सुलतान हों
Every day the lot is crossing new limits. Shamelessness is the first trait for being admitted into their rank. Therefore you can not accuse them for crossing the limits of shamelessness.
Every day the lot is crossing new limits. Shamelessness is the first trait for being admitted into their rank. Therefore you can not accuse them for crossing the limits of shamelessness.
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सही बात है ! दरअसल ये कौम तो भिखारियों से भी निक्रष्ट है. वो बेचारे तो हालात के मारे हैं मगर ये किस के मारे कोई नहीं जनता ? गिरगिट की तरह रंग बदलना कोई इनसे सीखे . हैरत की बात है कि एक बार हाथ जोड़कर भीख मांगने के बाद पांच साल तक इनके दर्शन नहीं होते. यदि होते भी हैं तो वो जनता से ऐसे मिलते हैं जैसे किसी सल्तनत के सुलतान हों
ReplyDeleteयह भी एक सच्चाई आज के विकसित समाज की. सुंदर व्यंग. मेरे ब्लॉग पर इसी विषय पर मेरी दो पोस्ट देंखे.
ReplyDeleteपर है तो अपना ही..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen" पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा /
In netaon ki koi Bhi had nahi hai ...
ReplyDeletebas sab aise hi hain.....
ReplyDeletesateek..vyangy..
ये सिलसिला चलता ही रहेगा क्या कर सकते हैं।
ReplyDeleteytharth ko ukera hai apne....badhiya
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य किया है आपने! सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeleteAaj bahut dino ke baad aapke blog par aai...Rachna ji ke blog ke through. Nice joke of the day!!!
ReplyDeleteEvery day the lot is crossing new limits. Shamelessness is the first trait for being admitted into their rank. Therefore you can not accuse them for crossing the limits of shamelessness.
ReplyDeleteEvery day the lot is crossing new limits. Shamelessness is the first trait for being admitted into their rank. Therefore you can not accuse them for crossing the limits of shamelessness.
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