जब भी कोई सच बोलता है
जो कभी सही लगता था।
वह भी गलत लगने लगता है।
सोचता हूँ -
या तो सच सुनना छोड़ दूँ
या फिर सोचना छोड़ दूँ।
लेकिन मेरे छोड़ देने से
कुछ बदल तो ना जायेगा।
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किसी ने मुझसे पूछा-
आदमी और जानवर में
क्या अंतर है?
बहुत सोचने के बाद भी
फर्क नही कर पाया।
दोनों एक-से लगते हैं।
इसका जवाब
एक बच्चे ने दिया-
"सिर्फ पूँछ का।"
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बहुत गहरा..
ReplyDeleteसही जबाब दिया बच्चे ने,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता
बच्चे का जवाब सही था..गहन अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २५/९/१२ मंगलवार को चर्चाकारा राजेश कुमारी के द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeletebadhiya ...jaante hain sach kyon nahi lagta...kyonki insan sach par vishvas nahi karta...jhoothh par to kabhi avishvas nahi karta....
ReplyDeleteबच्चे ही सच बोलते हैं । सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeletesach kaha bacche ne
ReplyDeleteवाह ..कमाल..
ReplyDeleteHi great reading your blogg
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