जब यादें सताती हैं ये बहुत रोता है।
सोचता था किसी दिन सब भूल जाऊँगा
मालूम नही है मुझे , ये कैसे होता है।
कह्ते हैं शराब ग़म भुलानें का जरिया है
जब भी पी,ज्यादा तड़पता हुआ ये लौटा है।
लाख ख्वाईशें करो जन्नत की बहारों की
जमानें की कही हर बात सच नही होती
वही मिलता है, आदमी जैसा बोता है।
लाख ख्वाईशें करो जन्नत की बहारों की
सभी का एक-सा नसीब नही होता है।
जमानें की कही हर बात सच नही होती
वही मिलता है, आदमी जैसा बोता है।
वाह....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल......
अनु
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete4 बरस में पहली बार आपके साक्षात दर्शन हुए हैं। अन्यथा हम तो आपका बाल रुप ही देखते आए हैं :)
बहुत ही बढ़िया ....
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं मेरी भी ....
"4 बरस में पहली बार आपके साक्षात दर्शन हुए हैं। अन्यथा हम तो आपका बाल रुप ही देखते आए हैं :)"सही है ...
साधना ब्लॉग के लिए मैं आपकी आभारी हूं ....
ललित शर्मा जी ने तो हम सब के दिल की बात कह दी है ... ;)
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !
सबको अपनी अपनी मिलती...जीवन और उसकी राहें।
ReplyDeletewahee milta hai jo aadami bota hai. Sunder sachchi gazal.
ReplyDeleteJanm din kee bahut bahut badhaee.
ReplyDeleteसुंदर रचना मन को छूती हुई
ReplyDeleteबधाई
उत्कृष्ट प्रस्तुति
विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
Hathon Mein Khali Gilas Liye Baitha Hun,
ReplyDeleteLog Kehte Hain Piye Baitha Hun,
Ho Gaya Hun Zinda Lash Tere Jane Ke Baad,
Dard Sine Main Lekar Hothon Ko Siye Baitha Hun
Gumnam
Mai Shayar Houn Per Sharabi Nahi,
ReplyDeleteKoi Sharaab Aise Mile Ke Tujhe Bhool Jaun To Pee Jaunga
Gumnam
Zindagi Bewafa Kion Hoti Hai?
ReplyDeleteWafa Kernay Ki Saza Kion Hoti Hai?
Choti Si Baat Pe Baha Dety Hain Khoon
Insan Mein Itni Ana Kion Hoti Hai?
Karta Hun Mein Jis Se Bar Baar Tauba,
Elahi Mujhse Wohi Khata Kion Hoti Hai,
Banatay To Hain Hum Apne Haton Se Masjid,
Namaz Apni Hi Phir Qaza Kion Hoti Hai..
Gumnam