Sunday, July 27, 2008

कोई गीत कैसे गाएगा.....

दहशत भरे माहौल में,कोई गीत कैसे गाएगा?

आँसुओं के बीच कोई, कैसे मुस्कराएगा?


मगर यहाँ कमी कहाँ, लोग ऐसे हैं बहुत।

कुर्सी पे बैठा हो कहीं भी, रोटी सेंक जाएगा।


मौत आदमी की बनी, मोहरा उन के खेल का।

राज उन का हर जगह है,बाहर या हो जेल का।


क्षुब्ध होकर आदमी,उठाए बंदूक उन्हें ,फर्क क्या!

रुकती नही है गाड़ी उनकी, ज्यों सफर हो रेल का।


बिका हुआ है आदमी,खरीददार चाहिए।

हों भले चरित्रहीन, सत्य के गीत गाइए।


कौन-सी दिशा की ओर, देश अपना चल दिया।

मौन क्यूँ यहाँ सभी, कोई तो समझाइए ?


देखे कौन आके अब, इन्सान को समझाएगा।

दहशत भरे माहौल में, कोई गीत कैसे गाएगा?

17 comments:

  1. Bahut Bahut hi badia likha hai aapne

    Really very touchy...

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  2. बहुत बधाई हो ,
    परमजीत जी

    आज हमारे कोटा शहर मे एक काव्य - गोष्ठी थी
    आज लगातार दूसरे दिन हुए बम - धमाकों के बाद
    वहाँ एक कविता के साथ मैं एक मुक्तक पढ़ के आया था की
    "देख लो नज़रें उठा कर हर तरफ
    हो रही हैं साजिशें अलगाव की
    गीत - ग़ज़लों के विषय बदलो ज़रा
    अब ज़रूरत है बहुत बदलाव की "
    आपकी सक्रिय प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा मे ....
    और हाँ अगर आपको मेरी रचनाएँ सार्थक लगी हो ,तो बड़ा अच्छा लगेगा यदि मेरे बोल्ग को भी आप अपनी ब्लॉग लिस्ट मे जगह देंगे

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  3. बिका हुआ है आदमी,खरीददार चाहिए।
    हों भले चरित्रहीन, सत्य के गीत गाइए।
    "Abhar dhanyvad"

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  4. यथार्थ, सटीक और सुंदरतम। हृदय को छू गई आपकी यह रचना।

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  5. बिका हुआ है आदमी,खरीददार चाहिए।
    हों भले चरित्रहीन, सत्य के गीत गाइए।

    यथार्थ और सटीक

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  6. बढ़िया लिख रहे हैँ आप...

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  7. सत्य तो महज़ नक़ाब ही रह गया! सही बात कही आपने!

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  8. परमजीत जी बहुत सुन्दर भाव भरी हे आप की यह कविता,मुझे नही पता कभी राम राज था या नही लेकिन रावण राज आज भारत मे हे,
    धन्यवाद

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  9. bahut hi hrdyayangat karne wali aur manthan ko aamantrit karti rachna.

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति है

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  11. दहशत भरे माहौल में, कोई गीत कैसे गाएगा?
    -आप इतनी सुन्दर गीत लिखती जाएँ..हम किसी भी माहौल में सुन लेंगे !!

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  12. एक कवि का दर्द.......बहुत सुंदर

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  13. "आँसुओं के बीच कोई, कैसे मुस्कराएगा"
    एक-एक लाइन सच्ची है आपकी इस कविता की.
    Keep it up.

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  14. आज के संदर्भ में एक बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति.बधाई.

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