हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Thursday, October 16, 2008
धर्म परिवर्तन से बचने के उपाय
इस धर्म परिवतन को लेकर ना जानें कितने झगड़े व खून खराबा आए दिन होता रहता है।आज यह साबित करना मुश्किल होता जा रहा है कि लोग अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करते हैं या फिर किसी लालच या भय के कारण वह इस ओर जाते हैं।हमारा इतिहास बताता है कि हिन्दू धर्म पर यह हमला आज से नही बहुत पुरानें समय से हो रहा है।जब देश मे मुगल राज्य की स्थापना हुई थी उस समय भी कई ऐसे शासक थे जो हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया करते थे।इतिहास इस का गवाह है।
लेकिन उस के बाद ईसाईयों ने इस काम को संभाल लिआ। आज जो धर्म परिवर्तन हो रहे हैं, वह स्वैछा से बहुत कम हैं। लेकिन गरीबी व अपमानित जीवन से मुक्ति पानें के लिए ज्यादा हो रहे हैं।इस के पीछे लालच व सुविधाओं का लोभ रूपी दाना डाला जा रहा है।जिस में गरीब हिन्दु आसानी में फाँसा जा रहा है। समझ नही आता कि इस तरह धरम परिवर्तन कराने मे उन्हें क्या फायदा होता है? यदि वह बिना धर्म परिवर्तन कराए ही उन को वही सुविधाएं प्रदान कर दे और धर्म परिवर्तन के लिए कोई दबाव ना डाले तो क्या इस तरह कार्य या सेवा करनें से उन के ईसा मसीह उन से नाराज हो जाएगें ?
यहाँ स्पस्ट करना चाहुँगा कि यह लेख किसी धर्म की निंदा करने के लिए नही लिखा जा रहा।इसे लिखने का कारण मात्र इतना है कि जो अपने धर्म के अनुयायीओं की सख्या बढाने के चक्कर में दुसरों को लालच या भय के द्वारा भ्रष्ट करते हैं, उन्हें रोका जा सके। उन के द्वारा किए गए ऐसे कार्य कुछ लोगो को उकसानें का कारण बन जाते हैं जिस से देश में रक्तपात व आगजनी की शर्मनाक घटनाएं होती रहती हैं।इन सभी को रोका जा सके।
लेकिन इस धर्म परिवर्तन के पीछे मात्र ईसाई ही एक कारण नही हैं।इस के पीछे हमारी दलितो और गरीबों के प्रति हमारी मानसिकता भी एक कारण है। आज भी दलितो को कोई पास नही बैठनें देता।भले ही शहरों में यह सब कुछ नजर नही आता ,लेकिन गाँवों में यह आज भी हर जगह दिखाई पड़ता है।आप किसी भी गाँव में चले जाए। वही आप को दलितों को कदम कदम पर अपमान का घूट पीते देखा जा सकता है।ऊची जातियो द्वारा दिया गया यही अपमान उन्हें धर्म परिवर्तन की ओर ले जा रहा है।लोगो का ऐसा व्यवाहर भी इस धर्म परिवर्तन का एक कारण हो सकता है। इस लिए यदि हमें इस धर्म परिवर्तन को रोकना है तो सब से पहले इस निम्न वर्ग कहे जानें वालो के मन से छोटेपन का एहसास हटाना होगा।उन्हें अपने साथ बराबरी का दर्जा देना होगा। उसे कदम कदम पर अपमानित होनें के कारणो को दूर करना होगा।इस के लिए ईसाईयो के घर जलाने की नही, किसी को मारने की नही है। बल्कि अपने भीतर बनी ऊँच-नीच की दिवार गिरानी होगी,अपने भीतर के इन कुसंस्कारों को जलाना होगा। यदि हम उन दलित्व पिछड़े कहे जानें वालों को बराबरी का हक दे देगें ,तो फिर कोई लालच उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए, उकसाने मे सफल नही हो सकता।लेकिन क्या शोर मचानें वाले लोग इस कार्य को व्यवाहरिक रूप में ला सकते हैं? यदि ला सकते हैं तो बहुत हद तक इस धर्म परिवर्तन की समस्या से बचने का समाधान हो जाएगा।
यदि फिर भी धर्म परिवर्तन की समस्या का समाधान नही होता तो आप को हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ जो मैनें किसी अपनें खास से सुनी थी।यह घटना बिल्कुल सच्ची है।
कुछ समय पहले एक पढा लिखा सिख नौजवान दिल्ली नौकरी की तलाश में आया था।लेकिन काफि कोशिश करनें के बाद भी उसे नौकरी नही मिल पा रही थी।इसी तलाश में उस के फाँके काटने की नौबत आ गई थी।लेकिन इसी बीच संयोग से उन का संम्पर्क एक विशेष संप्रदाय के विशिष्ट व्यक्ति से हो गया।खाली होनें के कारण वह सिख नौजवान उन के साथ उन के धार्मिक सस्थान में भी आने जानें लगा\ उन महाश्य को मालुम था कि यह एक जरूरत मंद है सो उसे अपनें धर्म में लानें के लिए उस पर जोर डालने लगे।उस नौजवान ने अपनी सारी समस्या उन के सामने रख दी कि पैसा धेला मेरे व मेरे घर वालों के पास नही है।नौकरी मिल नही रही।बिजनैस करने के धन नही है।शादी की उमर भी निकलती जा रही है।यदि आप मेरी मदद करें तो में आप के धर्म को अपना लूँगा।बस फिर क्या था। कुछ ही दिनों के बाद उसकी शादी हो गई।दिल्ली मे ही एक घर अच्छी खासी सिक्योरटी दे कर किराए पर एक घर दिला दिया गया।नौकरी तो नही मिली लेकिन उसे नया थ्रीव्हीलर दिला दिया गया।वह सिख धर्म बदल कर कुछ साल तक दिल्ली मे ही रहा।लेकिन एक दिन अचानक सब कुछ बेच कर,घर के लिए दी गई सिक्योरटी ले,,अपनी पत्नी को लेकर वापिस अपने गाँव लौट गया।वहाँ पहुच कर उस ने पुन: स्वयं व अपनी पत्नी को भी सिख धर्म मे ले आया।आज वह उसी धन से छोटा-सा बिजनैस कर रहा है और मजे से रह रहा है।जिन महाशय ने उन का धर्म परिवर्तन कराया था वे आज अपना सिर धुन रहे हैं।मैं सोचता हूँ कि यदि ऐसा ही रास्ता अपना कर इन लालच देकर धर्म परिवतन करवाने वालों को सबक सिखाया जाए तो वह भी आगे से किसी को लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने से शर्मसार होगें।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुंदर | धर्म किसी मनुष्य की आत्मा को नहीं बदल सकता | मुझे उस सिक्ख दोस्त पर गर्व है | पर ज़रूरत इस बात की है कि हिंदू समाज या सिक्ख समाज के धनी लोग गरीब लोगों की भलाई की बात सोचे तथा करे भी |
ReplyDeleteबाली भाई इस पर आपके धर्मपरिर्वतन के नये कारण पर हमारा भी ध्यान नहीं गया था । आभार विचार व चिंतन को जगाने के लिए ।
ReplyDeleteपरमजीत जी , धर्म परिवर्तन का कारण तो सही पर आपकी इन बातों के आज कितना प्रयोगिक तौर पर पालन हो रहा है । हां अगर कल्पना की बात करें तो और है ।दिल्ली की घटना की मै खुद निंदा करता हूँ आपने बतायी । लेख का विषय बहुत अच्छा चुना है ।
ReplyDeleteएक सही विषय को चिंतन का सार दिया है,अच्छा लगा पढ़कर......
ReplyDeleteधर्म-परिवर्तन कैसा शब्द है मुझे आज तक समझ नहीं आया... किस धर्म में कहा गया है कि झूठ बोलो, अपमान करो, चोरी करो... फिर धर्म परिवर्तन किसलिए? अपना और किसी ग़लत का मन परिवर्तित(शुध्द) कर के देखो, दुनिया सुन्दर है।
ReplyDeleteयह तो वैसा ही है जैसे गैलीलियों से मारपीट कर कहलवा लो कि धरती चपटी है या फिर लालच से कहलवा लो।
ReplyDeleteबाद में वह यही कहेगा कि धरती मेरे कहने से चपटी थोड़े ही रहेगी।
लेकिन अपने ही धर्म के ठेकेदारों के चंगुल से बचने और अपना जीवन बदलने के लिए किया गया धर्म परिवर्तन स्थाई हो जाएगा। इस कारण धर्म के अन्याय तो समाप्त करने ही होंगे।
आप का लेख अच्छा है
ReplyDeleteधन्यवाद
मैं तो यही कहना चाहूंगी कि दलित वर्ग को हिंदू धर्म में मान्यता नहीं है, उन्हें अछूत कहा जाता है यानी वो हिंदू नहीं है, हां जबरन धर्म परिवर्तन किसी भी सूरत में गलत है।
ReplyDeletesateek chintan hai aapka
ReplyDeletesadhuwaad
धर्म का इस वर्तमान रूप में आदमी के बीच रहना ही सब बड़ी त्रासदी है आज की .... इस समय तक तो धर्म को तिरोहित हो जाना चाहिए ...अलबत्ता धार्मिकता बची रहे ....बाकी एक अच्छे उद्देश्य को लेकर लिखी गयी एक भावपूर्ण रचना के लिए आपको बधाई !!
ReplyDeleteआपका लेख पढ़ा। अच्छा लगा की आपने समाज का ध्यान इस और आकर्षित करने का प्रयास किया।
ReplyDeleteकई विचार है दिल में इन कुछ मुद्दों को लेकर। काफ़ी कुछ कहना चाहता हूँ। पर ये इतने जवलंत मुद्दे है की डर लगता है की मेरे विचार किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचा बेठें।
अपनी बात करूँ तो इतना ही कहना चाहूँगा की धर्म किसी भगवान के बनाये हुए नहीं हैं. ये सब केवल इंसान के दिमाग की उपज है. और आज के युग में धर्म का हर ठेकेदार धर्म और भगवान को अपने नज़रिए से परिभाषित करता है. धर्म इंसान का बनाया हुआ, इंसान के लिए एक खोखला दंभ साबित होकर रह गया है. पुरे विशव भर में कितने ही धर्म होंगे और हर धर्म प्यार, इमानदारी और सेवा भावना सिखाता है. पर कहाँ है ये सब विशेषताएं. हर मुल्क में लडाई झगडा. भाई, भाई को काट रहा है. अगर यही है धर्म, तो धर्म का होना क्या और न होना क्या?
राम, कृष्ण, गुरु नानक, हजरत मोहम्मद, ईसा मसीह किसी ने भी तो धरम की बात नहीं की. इन सब ने अलग अलग वाणी, अलग अलग भाषा में भी "सबका मालिक एक" का ही मन्त्र दिया. क्या हम मानते है इन महापुरुषों की वाणी को?
मेरे विचार में आज जरुरत धर्म पर बहस करने की नहीं, इन महापुरुषों की वाणी पर अमल करने की है.
उम्र और अनुभव दोनों में बहुत छोटा हूँ. कोई गलत शब्द मुँह से निकल गया तो नालायक बच्चा समझ कर माफ़ करियेगा.
दीपावली के पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!
ReplyDeletesarthak lekh.diwali ki hardik shubhkamna.
ReplyDeleteबहुत सही मज़ा आ गया इस सिख-प्रसंग से. पर ऐसे कितने ही चतुर सज्जन होंगे !
ReplyDeleteदक्षिण भारत में २-३ साल के बच्चों का जब धर्म परिवर्तन होजाता और उनको चर्चों में भी भेजा जाने लगता है तो वे ख़ुद की सभ्यता और संस्कृति से पूरी तरह से अछूते रह जाते हैं.