हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteneta ko par jeevii kahnaa saarthak prayog hai, aur sach bhii!
ReplyDeleteबहुत खुब ! आप ने सही पहचान बताई.
ReplyDeleteधन्यवाद
नई परिभाषा । अच्छी परिभाषा । वाह ।
ReplyDeletewaah parjivi neeta sahi kaha:);)
ReplyDeleteबेहतर संज्ञा है परिजिवी ,मैं तो कहता हूँ के ये परभ्छी भी है जो दूसरो का सिर्फ़ भछन करना जानते है ....... बहोत खूब लिखा है आपने .......
ReplyDeleteअच्छी ऐसी की तैसी की नेताओं की. आभार.
ReplyDeleteaapki kavita netaon se aam aadmi ki upji hatasha ko bayaan karti hai
ReplyDeleteSaral shabdon me gehri baat.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है।
ReplyDeletethis is the best description of a politician in our country .
ReplyDeletebahut badhai . bahut accha likha hai .
vijay
paramjeet jee,
ReplyDeleteparjeevee rachna netaon par teekhee tippdee hai.ye bahroopiye jane kitne roop badal kar hamare samne aate hain. kabhee joker,kabhee bhikharee kabhee geedad.
likhte rahiye isee tarah .
sorry bandhu,
ReplyDeletefir se likh raha hoon.aapkee parjeevee bahut umda hai .chal baj netaon kee pole aapne achee khole ai
badhai.
paramjeet jee,
ReplyDeleteparjeevee rachna netaon par teekhee tippdee hai.ye bahroopiye jane kitne roop badal kar hamare samne aate hain. kabhee joker,kabhee bhikharee kabhee geedad.
likhte rahiye isee tarah .
ओ बाली जी....आपने तो आज बड़ी गहरी बात कह डाली.....वो भी चुटीले अंदाज़ में.....बहुत अच्छी बन पड़ी है.....आपको धन्यवाद ऐसी रचना प्रदान करने के लिए....!!!
ReplyDeleteक्या बात है - पर उस जीव को क्या फर्क पड़ने वाला है!
ReplyDelete