हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Wednesday, April 22, 2009
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हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
बात सही है, फिर भी कुछ कहे, कुछ गुनगुनाए बिन रहा भी तो न जाए।
ReplyDeleteअच्छी रचना।
बहुत खूब बाली जी। ईमानदारी से कह दी अपनी बात।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteदास्तां अजब है मिल के भी मिल न पाना।
मेरा दिल जलाने क्यों बार बार आते हो।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवास्तव में सब का हाल एक जैसा ही है...!इस सदर्भ में एक गीत याद आता है-कौन सुनेगा ,किसको सुनाएँ, इसलिए चुप रहते है....
ReplyDeletevaise to insan akela hi hai,magar bhi aaspaas rishtey bahut hai,gungunate hum khud ke liye aur sunte wahi hai.bahut hi sunder rachana,shayad kuch sawalon ke jawab sangeet mein chuppe ho.
ReplyDeletewaah ji waah ....wese to saare hi she'r mukammal kahi aapne magar aakhiri se dusare she'r ne dil jeet liya ... bahot hi behtarin kahi aapne dhero badhaayee aapko sahib..
ReplyDeletemeri naee gazal pe aapko newta diye jaa rahaa hun..
arsh
बालीजी आपको पढ़कर एक अजीब सा सकुन सा मिलता है. आपकी सरल भाषा ,शब्दों में छिपे गहरे भाव, मन में एक अमिट छाप छोड़ते है. आप इस तरह से लिखते रहे और हम आपके भावो को पढ़ते रहे ........ये सिलसिला बस एसे ही चलता रहे .......
ReplyDeleteआभार .......
राजीव महेश्वरी
kya khoob likhte hain ..........yatharth bodh kara diya.
ReplyDeleteशब्दों का बहुत अच्छा प्रयोग किया है आपने.. आभार
ReplyDeleteजज्बातों का सुन्दर शब्द-चित्र.....
ReplyDeleteसंवेदना गहरी है ,अभिव्यक्ति सुन्दर ,बधाई।
ReplyDeleteसार्थक रचना!
ReplyDeleteकौन है खुश खुद से यहाँ ...सही बहुत अच्छी लगी यह पंक्तियाँ .सुन्दर
ReplyDeleteऐसी कठोर दुनिया में तो गाने का कोई मतलब नहीं।
ReplyDeleteसही कहा आपने परमजीत जी .......सीधे, सरल शब्दों में प्रभावी बात .............
ReplyDeleteAdarneeya balee jee,
ReplyDeleteachchhee gazal hai....kam shabddon men gahree abhivyakti.
HemantKumar
बाली साहब, आप तो गीत और गजल भी बहुत अच्छी कहते है. देश का दुर्भाग्य है कि गुजरात तो हर किसी को याद आता है लेकिन चौरासी किसी को नहीं जिसमें बेकसूर सिखों को जला-जलाकर मारा गया था और आज तक किसी को सजा नहीं हुई.गुजरात में मामला बिलकुल उलट था और चौरासी का उससे एकदम उलटा. लेकिन हाय रे वोटर, कातिलों को नाखुदा बना दिया.
ReplyDeleteParamjeet kiske liye geet gate ho.....
ReplyDeletekabhi kabhi apne liye bhi to geet gungunaya jata hai....bahut achcha likha hai aapne....badhai swikariyega
baali saheb ,
ReplyDeletebahut sundar panktiyaan .. man ko choo gayi .. dusara sher ,behatreen hai , dil se badhai ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com
अपने उदगारों को अपने गीतों में कह देना।
ReplyDeleteमन की मूक वेदनाओं को धीरे से सह लेना।
achchhi kavita hai.kuch pantiyan to behad prabhavshali ban padi hai.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकुछ कहो , जो कहना है , दिल की बात को
ReplyDeleteछुपा के किस लिए यहाँ आंसू बहाते हो ....
वाह ...जी ...वाह......आपने तो टका सा जवाब दे दिया उसे.....!!
देख तेरे आंसुओं को न दिल पसीजेगा......
क्या बात है बाली जी ...कुछ खफा- खफा से हैं जनाब.....!!