हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
यदि हम पूरे आस्तिक है - तो भी बह्स नही करते.... यदि हम पूरे नास्तिक हैं - तो भी बह्स नही करते...
लेकिन हम ना तो पूरे अस्तिक हैं और ना ही पूरे नास्तिक.... इसी लिए हम बह्स करते हैं। क्युँकि पूर्णता को प्राप्त व्यक्ति के पास बह्स का कोई विकल्प ही नही बचता।
Aapne meri musgqil badha di. Ab, jo bhi bahas nahiN karte, sabko gyani man-na padega. Aur inme wo log bhi shaamil honge jo bahas karte to hain par mauka padne par yah kahne ka hunar bhi rakhte hain ki nahi bhai, ham to kabhi nahin karte. Vaise gyani agar bahas nahi karte to pata kaise chalta hai ki ve gyani hain. Aur aisa gyan kisike kis kam ka !? aapne apni saralta me apni taraf se thik baat kahi hai par is tarah se kahi batoN se log aksar anuchit labh utha lete haiN.
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वाह जी, बिलकुल सही कहा, ग्याणी कभी बहस नही करते, धन्यवाद
ReplyDeleteसत्य वचन. अधजल गगरी छलकत जात...इसीलिए कहा गया है.
ReplyDeleteek dam sahi baat kahi aapne...
ReplyDeletefala hua ped hi jhuka hua hota hai...
aabhaar..!!
बड़ी गहरी बात है, सीधे सादे शब्दों में।
ReplyDeleteAapne meri musgqil badha di. Ab, jo bhi bahas nahiN karte, sabko gyani man-na padega. Aur inme wo log bhi shaamil honge jo bahas karte to hain par mauka padne par yah kahne ka hunar bhi rakhte hain ki nahi bhai, ham to kabhi nahin karte. Vaise gyani agar bahas nahi karte to pata kaise chalta hai ki ve gyani hain. Aur aisa gyan kisike kis kam ka !?
ReplyDeleteaapne apni saralta me apni taraf se thik baat kahi hai par is tarah se kahi batoN se log aksar anuchit labh utha lete haiN.
सही में हम अधुरे है . तर्क और वितर्क की जगह कुतर्क ही करते है हम
ReplyDeleteBahut khoob ,
ReplyDeletesunder abhibyakti.
Hardik Badhai.
Bahut khoob ,
ReplyDeletesunder abhibyakti.
Hardik Badhai.
सटीक बात ...
ReplyDeletebahut hi sundar baat baali ji , padhkar aanand aa gaya hai . satya se oatprot hai ... badhayi
ReplyDeleteआज तो बडी ही गहरी और सही बात कह दी…………जहाँ पूर्णता होती है वहाँ सभी प्रश्न समाप्त हो जाते हैं।
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ReplyDeleteपरमजीत जी, सही कहा आपने।
…………..
प्रेतों के बीच घिरी अकेली लड़की।
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
बिलकुल सही कहा आपने...
ReplyDeleteवाह!!!!! क्या बात है बड़ी गहरी बात है
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
अजि बिलकुल सही कहा बहस वही कर सकता है जिसके मन में कुछ पाने कि लालसा हो जिसकी कोई अभिलाषा नहीं बची वो क्या बहस करेगा
ReplyDeleteसही बात ।
ReplyDeleteबस पूर्ण आदमी आजकल ढूंढे से भी नहीं मिलते ।
वाह !!
ReplyDeleteBahut achi bat kahi aapne...
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