Sunday, August 15, 2010

क्या खबर थी ये..............

 
आज १५ अगस्त है....पता नही मन आज क्युँ कुछ ज्यादा ही उदास हो रहा है। रह रह कर मन कर रहा है कि थोड़ा रो लूँ। शायद मेरे भीतर की पीड़ा कुछ कम हो सकेगी। लेकिन मुझे लग रहा है कि सिर्फ मैं ही ऐसा महसूस नही कर रहा....आज देश में वह हर रहने वाला जिसे अपने देश से जरा -सा भी प्यार है....उस के दिल में एक कसक,एक दर्द-सा जरूर रह रह कर उठ रहा होगा।आज भगत सिहँ राजगुरू सुखदेव नेताजी आदि सभी देश भगत..मुझे बहुत याद आ रहे हैं......मुझे ऐसा लगता है जैसे वे सभी कहीं हमारे आस-पास ही हैं और  हमें देख रहे हैं....वह हमें देख रहे हैं एक उम्मीद भरी नजर से....। वह हमें बहुत कुछ कहना चाह रहें हैं.....लेकिन लगता है आज उनकी बातों को कोई सुनना ही नही चाह रहा.....या यूँ कहूँ कि देश में धमाकों, नेताओ के भाषणों,उन के झूठे वादों, न्याय के लिए गुहार लगाते देशवासीयों और महँगाई से रोती जनता की चीख-पुकार के कारण इतना शोर हो रहा है कि हमें कुछ सुनाई ही नही दे रहा। मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि देश के सभी कर्णधार देशवासीयों की इस हालत को देख कर मुस्करा रहे हैं.....क्योंकि वे जानते हैं वे सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं...किसी को भी अपने मतदानों से जितवा दो....वह कुर्सी पर बैठते ही एक-सा ही  हो जाता है।फिर सत्ता के सुख के आगे उसे कुछ दिखाई ही नही देता।बस यही सब सोचते सोचते कुछ पंक्तियां बन गई हैं.....इन्हें लिखते समय पता नही ऐसा क्युँ लग रहा था कि भीतर कुछ ऐसा है जो आँखों से बाहर आना चाहता है....लेकिन शायद हमीं उसे बाहर नही आने देना चाहते। नीचे की पंक्तियां लिखनें के बाद भी मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि इस से भी  बहुत ज्यादा  कुछ ऐसा है जो मैं या यूँ कहूँ हम कह नही पा रहे....क्यों कि पीड़ा और दुख दर्द को कभी शब्दों से महसूस नही किया जा सकता। 
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दिल मे छुपा हुआ इक अरमान जी उठा।
थी क्या गरज पड़ी उन्हें गये अपनी जां लुटा।      
ना समझ सका आज तक उनके ज़नून को,   
फाँसी का फंदा पहना क्यों, हार -सा उठा।

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क्या खबर थी ये वतन हमें भूल जाएगा।
मेरा तिरंगा होगा लेकिन धूल खाएगा।
क्या खबर थी ये........

मेरे वतन के लोग सभी रास्ता भूले,
देश का नेता वतन को लूट खाएगा।
क्या खबर थी ये........

नेता सुभाष जैसा यहाँ कोई नही है,
जयचंद बैठा कुर्सी पर मुस्कराएगा।
क्या खबर थी ये........

आग लगा खुद ही लोगॊं से ये कहे-
देश पड़ोसी तुम्हारा घर जलाएगा।
क्या खबर थी ये........

फैला के आतंक खुद  शोर करें ये,
खून की हर बूँद वतन पर लुटाएगा।
क्या खबर थी ये........

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हैं यहाँ,
वोट की खातिर ये इनको लड़ाएगा।
क्या खबर थी ये........

सत्ता संभाल बैठे हो जब दोषी यहाँ सारे,
कौन देशवासीयों को  न्याय दिलाएगा।
क्या खबर थी ये........

भगत राजगुरु सुखदेव सोचते होगें-
अपनों की गुलामी से,  कौन बचाएगा।
क्या खबर थी ये........ 

25 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति ...मन को छू गयी ..

    स्वंत्रता दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं

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  2. सच मै इस बार दिल बहुत उदास है.... पता नही क्यो, लेकिन हिम्मत हारने से कुछ नही होगा, जागो जागो यही संदेश है भगवान कृष्ण का गुरु गोविंद सिंह का, जागो ओर जगाओ सोये हुये लोगो को ओर अन्याय के विरुध आवाज बुलंद करो.

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  3. क्या कहा जाये...शायद सबके दिल को कहीं न कहीं कचोटता तो जरुर होगा.


    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

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  4. स्‍वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  5. प्रस्तुति ...मन को छू गयी ..
    आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  6. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  7. बहुत खूब्! मन को उद्वेलित करती रचना....

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति.
    स्‍वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

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  9. भाई, आपकी पीड़ा और दर्द में हम भी शामिल हैं। अपने देश के लिए आपके मन को उदगारों का सम्मान करता हूँ।

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं !

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  10. परमजीत बाली जी
    आपकी यह कविता अत्यंत भावपूर्ण है। ऐसी काव्यात्मक प्रस्तुति केवल निष्काम चिंतक ही कर पाते हैं। देश के इस पावन पर्व पर आपको मेरी तरह से शुभकामनाऐं और बधाई।
    दीपक भारतदीप

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  11. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं .
    अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (16/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  12. यही नैराश्य पता नहीं कितने हृदयों का अनुनाद हो। हालात चिन्तनीय है, उत्सव मनाने का समय नहीं। स्वतन्त्रता पर इतरा लें और पुनः कार्य पर लग जायें।

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  13. बिलकुल सटीक और बहुत अच्छी प्रस्तुति बधाई। स्वतन्त्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई कम से कम उन शहीदों की अत्मा के लिये श्रद्धाँजली के रूप मे। जय हिन्द।

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  15. beshak alfazon me junoon hai..
    jo khud apni kaifiyat ko baya kar rahe hai

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  16. मन छू लेने वाले भाव.......
    अच्छी रचना के लिए बधाई।

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  17. अपना ब्लॉग हमारें एगरीकेटर पर जोड़ने के लिए आपको धन्यवाद।
    आपके ब्लॉग को लक्ष्य एगरीकेटर मे शामिल कर लिया गया हे। वहां पर आप अपनी पोस्ट को देख सकते है। अपने अन्य ब्लॉग भी सब मिट करने की कृपा करें ताकि आपके विचारों को अन्या लोगों तक पहुँचाया जा सके।
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  18. सच्चा दर्द निकल रहा है इस रचना में .... दिल से लिखी रचना ...

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  19. saandar rachna........!!

    dard jhalak raha hai.......lekin kya kiya jaye......

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  20. रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाए !!

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  21. जिसे भी अपने देश से प्यार हॆ-उसके मन की पीडा आपने व्यक्त की हॆ.कुछ सवाल अब भी ऎसे मॊजूद हॆं-जिनका उत्तर अभी तक भी नहीं खोज पाय़े हॆं.ऎसा ही एक सवाल अपनी राज-भाषा ’हिंदी’ का हॆ.कहने के लिए हमारी राज-भाषा ’हिंदी’ हॆं,लेकिन अभी तक ज्यादातर सरकारी काम-काज ’अंग्रेजी’ में हो रहा हॆ. आखिर कब तक हम भारतीय आपस में संवाद के लिए,एक विदेशी भाषा का सहारा लेते रहेंगें?इसी विषय पर चर्चा के लिए देखिए मेरा नया ब्लाग:राजभाषा विकास मंच.
    http://www.rajbhashavikasmanch.blogspot.com

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  22. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
    वाह बहुत बढ़िया लगा!

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  23. जिस जूनून की वजह से वे अपनी जान पर खेल गए , उसका लाभ आज हम ले रहे हैं. अफ़सोस यही है कि आज वैसा जूनून फिर किसी में पैदा नहीं हो रहा है.

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