Tuesday, March 10, 2009

चाँद को बादल अब भी सता रहा है


वह हमेशा मुझ से पूछती है -
तुम छोड़ क्यों नही देते?
उस के इस सवाल का उत्तर
पता नही क्यूँ
मेरे भीतर से नही आता।
ऐसा लगता है
यदि कुछ बोला
तो भीतर से कहीं टूट जाऊँगा।
इस लिए सदा मौन रह जाता हूँ।
अपने को भीतर से खाली पाता हूँ।

मैं बाहर आकर
खुले आकाश को ताकता हूँ।
जैसे वहाँ से कोई जवाब मिल जाए।
लेकिन ये क्या?
आकाश में तो पंछी उड़ते नजर आते हैं।
मुझे लगता है कि ये पंछी
मेरे भीतर से निकल कर
वहाँ पहुँचे होगें।
मैं मन में उन्हें
वापिस बुलानें की
कल्पना करनें लगता हूँ।
लेकिन वे पलट कर नहीं देखते।
उड़ते जाते हैं
दूर बहुत दूर उड़ते हुए
आँखों से ओझल हो जाते हैं।
मैं खाली आकाश में
तब भी उन्हें खोजता हूँ।
तुम फिर वहीं पूछती हो -
तुम छोड़ क्यों नही देते ?
लेकिन मैं उसे कैसे समझाऊं
छोड़ना मेरे बस में नही है।
यदि छोड़ना मेरे बस मे होता
तो भी क्या मै छोड़ना चाहता?
मै फिर अपने आप से पूछता हूँ।
लेकिन जवाब
अब भी नही मिलता।
मैं फिर आकाश कि ओर ताकता हूँ
अब आकाश में
सिर्फ
तारे चमक रहें हैं।
चाँद बादलों के पीछे से झाँकता हुआ
मुझे मुँह चिड़ा रहा है
ऐसा मुझे लगता है।
उस की चाँदनी
कभी घट जाती है
कभी बड़ जाती है।
जानता हूँ
यह सब
बादलों के कारण हो रहा है।
लेकिन
मुझे महसूस होता है कि
बादल चाँद को सता रहा है।
तुम हमेशा कि तरह
फिर पूछती हो-
तुम छोड़ क्यों नही देते ?
मैं फिर मौन हो जाता हूँ।
आँखें बन्द कर
अपनें भीतर से पूछता हूँ।
लेकिन यहाँ सवाल
सवाल बना अब भी
मेरे सामनें खड़ा रहता है।
मै धीरे-धीरे
अपनें भीतर के अंधकार में
डूबनें लगता हूँ।
वह सवाल भी मेरे साथ
डूबनें लगता है।
डूबते समय मैं सोच रहा हूँ।
क्या सुबह होनें पर
यह सवाल फिर वह पूछेगी?
तुम छोड़ क्यों नही देते?
लेकिन मैं अब वहाँ नही हूँ।
चारों ओर मौन है
अंधेरा है
चाँद को बादल अब भी सता रहा है।

("बिखरे हुए फूल" से)

15 comments:

  1. रंगों के पर्व होली पर आपको हार्दिक शुभकामना

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  2. कुछ सवालों का जवाब देना बहुत मुश्किल हुआ करता है...बेहतरीन रचना है ये आपकी...
    आपको होली की शुभकामनाएं.

    नीरज

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  3. बहोत खूब लिखा है साहब आपने.. आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं.... गुजिया और जलेबी के साथ...बधाई

    अर्श

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  4. परमजीत जी
    अद्भुद कल्पना, बहूत गहरी कविता.
    तुम मुझे छोड़ क्यों नही देते, कितना मुश्किल प्रश्न, क्या कोई छोड़ सकता है जिनको प्यार किया जाता है
    आपको और परिवार को होली की मुबारक बाद

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  5. मुझे लगता है कि ये पक्षी मेरे अन्दर से निकले होंगे.........
    भावों का बहुत प्यारा सम्मिश्रण है,आपकी हर रचना मुझे प्रभावित करती है........

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  6. होली के पावन अवसर पर होली की
    बहुत-बहुत शुभकामनाये!

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  7. वाह बहुत सुन्दर। होली मुबारक।

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  8. holi ki bahut bahut badhaayi

    kya chodna itna aasan hai?
    jitna paana mushkil hai usse kahin jyada chodna.
    bahut badhiya rachna.

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  9. बहुत सुंदर रचना ...
    आप सबको होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

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  10. कैसे उन्हे समझाऊँ,अपनों से कभी मुँह मोडा नही जाता,
    बीच राह मे कभी ,यूँ किसी को छॊडा नही जाता।

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  11. baali ji

    bahut hi sundar aur maarmik rachna

    dil se badhai sweekar karen

    maine bhi kuch likha hai
    padhiyenga jarur

    aapka

    vijay

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  12. Adarneeya Bali ji,
    bahut sundar rachna....sundar bhav...
    apko holee kee shubhkamnayen.

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  13. बीच राह मे कभी ,यूँ किसी को छॊडा नही जाता।
    बहुत सुन्दर .

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