हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Sunday, July 12, 2009
बिखराव
१
अब तो अपने भीतर ही
अपनी साँसों से
जख्म होनें लगे हैं।
जो सजाए थे
मैने सपने कभी
वे रोने लगे हैं।
जरा -सी हवा के
झोकों से बिखर जाएंगे।
शायद फिर कभी
लौट कर ना आएगे।
यही सोच अब
सपनो मे रंग नही भरता।
लगता है कोई सपना
अब मेरा नही मरता।
२
आज की रात
चाँद भी बहुत उदास है।
लेकिन मेरे लिए
यह रात खास है।
बादलों का छेड़ना
चाँद को नही भाता।
उस को शायद
दिल लगाना नही आता।
३
प्यास गहरी हो
ओंस भी पी जाओगे।
शिकायत अपनों से
कैसे कर पाओगे?
मेरे मन उदास तुम
कभी मत होना।
अब अकेले में बैठ
मत रोना।
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बहुत जबरदस्त बात कह गये, बधाई!!
ReplyDeleteबहुत ही भाव भरी प्रस्तुति आपकी,
ReplyDeleteबधाई हो आपको इस सुंदर रचना के लिए..
arse baad badh padh rahaa hun magar kya khoob kalam chalaayee hai aapne .... waah bahot bahot badhaayee shahib...
ReplyDeletearsh
अपनी ही सांस से ज़ख्म होने लगे हैं.......
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे भाव
यूँ तीनों क्षणिकाएं ही बहुत अच्छी हैं
teno अपने अपने रंग से bahri huyee........... lajawaab rachnaayen हैं ........ mazaa aa गया
ReplyDeletewaah tino rachanaye bahut hi lajawab hai,khas kar chandwali bahut pasand aayi.
ReplyDeletebahut hi shandar abhivyakti hai........har kshnika lajawaab
ReplyDeleteआदरणीय बाली जी ,
ReplyDeleteआपकी तीनों ही रचनाएँ सुन्दर भावों को संजोये हैं ...बधाई .
पूनम
सीधे दिल में उतर जाने वाली रचनाएँ
ReplyDelete---
श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग
सरल और सुन्दर रचनायें जी।
ReplyDeleteधन्यवाद।
मेरे मन उदास तुम
ReplyDeleteकभी मत होना।
अब अकेले में बैठ
मत रोना।
---------
आपने तो यह निदान बता दिया उदासी का मित्र।
baali jee ek baar nahin baar baar padha hai teeno ko bahut khoobsurat kashanikayen hain badhaai
ReplyDeleteआदरणीय बाली जी ,
ReplyDeleteआपकी तीनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं ....कम शब्दों के बावजूद एक अलग प्रभाव डालने वाली.
हेमंत कुमार
सपनो में रंग नहीं भरता
ReplyDeleteखूब कल्पना है उदासी भरी लेकिन आज के माहौल मे सच
Hi,
ReplyDeleteThank You Very Much for sharing this informative and also effective article here with us...
Somnath | Junagadh District | Gir National Park
बहुत ही शानदार प्रस्तुति , तीनो क्षणिकाये बहुत ही सुन्दर ,
ReplyDeleteबधाई आपको
सादर
राकेश
... प्रसंशनीय रचनाएँ, बधाईंयाँ !!!
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