जलती धरा है ऐसे जैसे दिल मेरा जला।
कोई बुलाओ बादलों को, बरसात को जरा।
अब यार भी गर्मी में मिलने नही आते,
धरती के पेड़ पौधों में कोई रंग भरो हरा।
मौसम है बादलों का मगर बादल कहीं नहीं,
भटकता ना हो कहीं वो मेरा, भूल कर पता।
मिल जाए कहीं तुमको, खबर उसको कर देना,
परमजीत ने खरीद लिया छाता इक नया।
कोई बुलाओ बादलों को, बरसात को जरा।
अब यार भी गर्मी में मिलने नही आते,
धरती के पेड़ पौधों में कोई रंग भरो हरा।
मौसम है बादलों का मगर बादल कहीं नहीं,
भटकता ना हो कहीं वो मेरा, भूल कर पता।
मिल जाए कहीं तुमको, खबर उसको कर देना,
परमजीत ने खरीद लिया छाता इक नया।
सच मे बादल पता भूल कर भटक रहा है शायद्।सुन्दर रचना।छाता तो मैने भी एक खरीदा है नया गाड़ी मे रखने के लिये।
ReplyDeleteबधाई ,अब छाते की जरूरत पड़ने वाली है .
ReplyDeleteसुन्दर प्रविष्टि ! देर आयद दुरस्त आयद , मानसून आ ही चुका है ! बधाई !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया। छाता न खरीदते तो शायद कुछ जल्दी आ जाता आपको सराबोर करने, पर अब आराम से आ रहा है। या फिर प्रतीक्षा में होगा कि कुछ और लोग भी छाता खरीद लें तभी चलें। खैर मज़ाक अपनी जगह। रचना पढ़ कर मज़ा आया।
ReplyDeleteबहुत ही दिल से पुकारा है बादलों को और उन्हें खबर भी हो गई है कि आपने छाता खरीद लिया है . . .बधाई ।
ReplyDeletePARAMJIT BHAI, ASHAWAN RAHEN, CHATA KHARIDA HAI TO BARISH BHI JAROOR HOGI, WO KAHAWAT HAI NA..KUDRAT KE GHAR DER HAI ANDHER NAHI..AAPKI KAVITA BAHUT PASAND AAI HAI..
ReplyDeleteबस अब आपके छाते का भरपूर उपयोग हो यही दुआ है !
ReplyDeleteबस अब समय आ गया आप को छाते की जरुरत पडेगी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, लेकिन मायूस ना हो बरसात जल्द ही होने वाली है.
धन्यवाद
bahut hi sahi samay par chhata kharidi hai sundar bhaw..........atisundar rachana
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआदरणीय बाली जी,
ReplyDeleteछाता आपने खरीद लिया है ---वह तो धूप,बरसात दोनों से बचायेगा।
बहुत उम्दा पन्क्तियां--शुभकामनायें।
कर दी है खबर कि परमजीत ने छाता खरीद लिया..पूछ रहा था कि काहे खरीदा?
ReplyDelete-बढ़िया रचना.
badhai..
ReplyDeletebahut sunder rachna....
kya bat hai dhara aour dil dono hi garm kar diye....
छाता तो खरीद लिया..........अब बरसात भी आ जाए तो मज़ा आ जाए ...... क्या बात है परमजीत जी
ReplyDeletewaah baali ji ,
ReplyDeleteitne khoobsurat tareeke se aapne sawan ka welcome kar rahe hai ..
badhai aapko .
वाह वाह बाली जी बहुत खूब पर मगर कहीं छाता देख कर वो डर गया तो सब मारे जायेन्गे इस गर्मी मे अभी छाता् बन्द ही रखिये रचना बहुत सुन्दर बन पडी है बधाई
ReplyDeleteछाता खरीदना तो मौसम में आस्था का प्रतीक है। काश सब खरीद पाते!
ReplyDelete... bahut khoob !!!!!
ReplyDeleteBahut khub.Badalon tak aapke chata kharidne ki suchna pahunchana behad jaruri hai tab shayad is garmi se kuch nijat mile.
ReplyDeleteitni achhi kavita ke baad baadlon ki garjna hui hai.......bundon ne kaha hai,main aa gai
ReplyDeleteparamjeet ji chata lene aa jaou.........
ReplyDeleteyahan bahut barish ho rahi hai......
bali ji , bahut khoob
ReplyDeleteab mosoon aa gaya hai, apki murad puri hui .
jab kharid liya hai chhata
to jald hoga barish se nata.
bahut khoob
ReplyDeleteINTZAAR...
ReplyDeleteINTZAAR...
APKA CHATA LAGTA HAI AGLE SAAL HI KAAM AAIYEGA !!
:(
बहुत बढ़िया...मौसम पर अच्छी रचना...इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteyahan ke baadal jayenge, chhata kharidna saarthak hoga
ReplyDeleteईश्वर करे हमें भी छाते की जरूरत पड़ जाए.
ReplyDeletebahut hi badhiya abhivyakti,
ReplyDeletekhoobsurat...