जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं कि हम जो होते हैं उस से एकदम विपरीत सोचनें लगते हैं।जब कि हम खुद भी नही जानते कि ऐसा क्युं कर होता है।हमारा मन ,हमारा दिल, दिमाग अचानक हमारे लिए अनायास अंनजान सा क्युं हो जाता है। जब कि हम सदा ऐसा मानकर चलते हैं कि हम अपने आप को, अपने विचारों को, अपनी सोच को,बहुत अच्छी तरह समझते हैं।मैनें इस बारे मे बहुत सोचा और पाया कि वास्तव में हमारे भीतर यह परिवर्तन अचानक नही होता.....कहीं बहुत भीतर यह सोच या यूं कहे कुछ विचार ऐसे होते हैं जिन्हे हम स्वयं भी नही समझ पाते। हमारे अचेतन मन में बैठे रहते हैं.....लेकिन यह प्रकट नहीं हो पाते....क्यों कि जब तक इन्हें कोई बाहरी संबल या यूं कहे सहारा नही मिलता...यह मुर्दा पड़े रहते हैं।लेकिन किसी दिन अचानक इन का प्रकट हो जाना और ऐसा आभास दे जाना कि अब तक जो तुम सोच रहे थे या विचार रखते थे ,वह सब हमारा अपना ओड़ा हुआ एक आवरण मात्र था।जो शायद हम दुनिया को दिखाने के लिए या यूं कहे दुनिया को धोखा देनें के लिए ओड़े रहते हैं, असल में एक झूठा आवरण मात्र ही होता है।इस आवरण के हटते ही हम अपने आप को एक दूसरे आदमी के रूप में पाते हैं।जो एक बहुत गहरी सुखानुभूति या बहुत गहरे सदमे का कारण बन सकती है।इस अवस्था में पहुँचने के बाद मुझे लगता है कोई हानि नही होती।भले ही कुछ समय के लिए या ज्यादा समय के लिए..हम मानसिक रूप से अस्थिर हो जाते हैं या भावनात्मक रूप से उद्धेलित हो जाते हैं। हमे ऐसा लगने लगता है कि अब शायद हमारे लिए कुछ भी नही बचेगा........अब हमारा जीना मात्र मजबूरी बन कर रह जाएगा...लेकिन ऐसा कुछ भी नही होता.....समय एक ऐसा मरहम है जो सभी घावों को धीरे धीरे भर ही देता है।
इस तरह कुछ समय बीतनें पर जीवन में एक तरह का नयापन महसूस होता है.....जीवन को एक नये रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है।पता नही कब किस के मुहँ से सुना था कि जीवन की कठिनाईयां आने पर उन से भागों मत....बल्कि उन का हल खोजों। यदि असफलता मिलती है तो उस का कारण खोजों।कारण नही ढूंढ पाते....तो भी रुकना मत......क्युंकि यह जीवन तुम्हें जीनें के लिए मिला है।भले ही इस जीवन को तुम अपने ढंग से नही ढाल पा रहे हो.....तो फिर जिस ढंग से यह जीवन तुम्हें बहा रहा है उसी में बहते हुए ही उस का आनंद उठाओ।
...बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteजीवन के चौराहे होते ही इसलिये हैं ।
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति........."
ReplyDeletesahi kaha..........bahte rahna samay ke sath yahi sabse badi uplabdhi hai.
ReplyDeleteक्या बात है आज तो कुछ एकदम अलग आध्यात्म की दुनिया की सैर करा दी. एक प्रेरणा दायक पोस्ट अच्छी लगी. सकारात्मक उर्जा के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteगहरे चिंतन और आध्यात्म की और लिखा है आपने ... अच्छा लगा ....
ReplyDeleteआप के विचार बहुत सुंदर लगे. धन्यवाद
ReplyDeleteman me bheetar tak utar gayi baat..........
ReplyDeleteshukriya !
आभार सदविचारों का.
ReplyDeleteठीक कहा आपने.. जैसे चलते चलते हम भी समुन्द्र के पास पहुँच जाये और सामने कोई रास्ता नज़र नहीं आये तो कभी कभी लौटना भी पड़ता है.. और इसी लौटने में एक नयापन होता है.. शायद कोई दिशा.. या वजह.. कि ज़िन्दगी एक करवट और ले लेती है...
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा लिखा है आपने.. सिम्पली ऑसम!
photo acha he
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
सुन्दर अति सुन्दर
ReplyDeleteBehad prabhavshali lekh hai. shabdon main prashansa ko seemit nahi kar sakti. Ati Sundertam
ReplyDelete"ये जीवन है इस जीवन का यही है ,यही है ,यही है रंग रूप ......" बस याद आ गई ये पन्क्तियां....
ReplyDeletesundar rachana.....
ReplyDeleteएक बढ़िया चिन्तन----इस पोस्ट में आपने जीवन का,परिस्थितियों का बहुत गहन विश्लेषण किया है----
ReplyDeleteआपकी डायरी का पहला पन्ना गहरे विचारों से परिपूर्ण है अगले पन्ने का इंतजार रहेगा
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिये शुक्रिया