हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Thursday, April 22, 2010
मुर्दो की बस्तीयों में.....
मुर्दो को बस्तीयों में घर हमने बसाया है।
जो रूठ कर बैठा है, अपना ही साया है।
बहारों की तमन्ना, करते सभी हैं लेकिन-
सौंगात को यहाँ पर,कब किसने पाया है।
आग सब तरफ है बाहर भी और दिल में,
आतिशे मौसम, क्या लौट फिर आया है।
मज़हब के नाम पर, होते यहाँ धमाके -
या खुदा तूने, कैसा इंसान बनाया है।
परमजीत दिल दुनिया, देख पूछता है-
आकर यहाँ हमने, खोया क्या पाया है।
मुर्दो को बस्तीयों में घर हमने बसाया है।
जो रूठ कर बैठा है, अपना ही साया है।
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वाह्…………बहुत ही मार्मिक और उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत उम्दा रचना....
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है......"
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteऔर
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं....
जो रूठकर बैठा है, अपना ही साया है ।
ReplyDeleteअन्तर्द्वन्द को स्पष्ट कर दिया ।
सब से पहले तो आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteफ़िर इस अति सुंदर रचना के लिये धन्यवाद
bahut khub
ReplyDeleteshekhar kumawat
बहारों की तमन्ना करते सभी है लेकिन
ReplyDeleteसौगात को यहाँ पर कब किसने पाया है
बहुत खूब !
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteअच्छी लगी.
-Rajeev Bharol
लाजवाब शेर हैं सब ... बेमिसाल ... ख़ास कर आग सब तरफ है ...
ReplyDeleteजनम दिन बहुत बहुत मुबारक ....
ReplyDeleteji bahut badhiya...
ReplyDeletekunwar ji,
...बहुत सुन्दर व प्रसंशनीय गजल,बधाई !!!
ReplyDeletesabhi ek se badhkar ek sher the janaab bahut khoob...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत उम्दा रचना के लिये बधाई
ReplyDeleteBahut sundar aur umda rachana---hardik badhai.
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल...आज के परिवेश का सटीक चित्रण करती सुंदर विचारों से सजी लाजवाब ग़ज़ल..बधाई परमजीत जी
ReplyDeleteसत्य से लबालब रचना।
ReplyDeleteतबियत खुश कित्ती है जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ... आप तो मतला से ही छा गए ...
ReplyDeleteबहुत खूब कहा भैया.....
ReplyDeleteBahut khub likha hai.shubkamnayen.
ReplyDeletebahot khub
ReplyDeletebahot khub
bahot khub
bahut ki khubsurat lika hai
ReplyDeleteमुर्दों की बस्ती तो है, लेकिन इनमें प्राण फूंकने की जरूरत है. दिल के अन्दर की आग को प्रकट कर मजहब के नाम पर धमाके करने वाले हैबानों को सबक सिखाने और बहारों को वापस लाने की जरूरत है.
ReplyDeletedil ko chune wali marmik rachna!!
ReplyDeletebahut hi badhiya rachna
ReplyDeletebehad umda... man me basar kar gayi... shukriya umda rachna dene ke liye..
ReplyDeleteniece gazal hriday ki gahrai ko choo gai aise gazlen hindi kavya ko gyey banati hai
ReplyDeleteबहारों की तमन्ना करते सभी है लेकिन
ReplyDeleteसौगात को यहाँ पर कब किसने पाया है
Bahut marmik aur samayik rachana. Janmdin shubh ho.