Sunday, May 2, 2010

उदासी का राज.....



उदास मन,उदास मेरा, दिन और रात है।
वजह नजर आती नही,  ये कैसी बात है।

या रब खफा है तू ,या खुद से खफा हूँ मै,

समझ नही आता मिली, कैसी, सौगात हैं।


पूछूँ किसे जाकर बताएगा यहाँ  अब कौन,
हर दिल का लगे ऐसा ही, मुझको हाल है।


मन की आँख जैसे, मुझे दुनिया दिखे वैसे,
परमजीत तेरी उदासी का  बस!यही राज है।

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर. बधाई और स्वागत

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  2. "बहुत बढ़िया लिखा गया है..."

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  3. bahut sundar prastuti...........har dil kaa haal bayan kar diya.

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  4. ग़ज़ल रुपी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.... अंतिम दो लाइनों ने दिल को छू लिया....

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  5. udaasi hi naye yug kee saugaat hai
    jidhar dekho , udaasi kee hi afratafree machi hai...
    bahut hi achhi gazal

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  6. meri bhawna meri beti ke naam se post ho gai hai, khushi meri beti

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  7. जो अन्दर है वही बाहर दिखता है।

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  8. Udaasee ko bhee aapane bahuta hee sahajataa ke saatha shabdon men bandha hai---sundar rachanaa.
    Puunam

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  9. मान के बातें जैसी देखें आखें वैसी...सच कहा...

    बहुत बढ़िया.

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  10. ये अँधेरे उजालों की बात है ,
    न दिन है न रात है...
    प्यार की सौगात है
    किस्मत की अपनी जात है ...

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  11. बहुत अही लिखा आप न्रे.
    धन्यवाद

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  12. सारी उदासी का राज़ अंतिम शे’र में छिपा है।

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  13. वाह, क्या बात है "जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखीं तीन तैसीं "

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  14. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  15. बहुत सुन्दर रचना है.
    मन की आँख जैसे, मुझे दुनिया दिखे वैसे
    परमजीत तेरी उदासी का बस! यही राज़ है.
    यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं. बधाई.
    महावीर शर्मा

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  16. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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