हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Sunday, May 2, 2010
उदासी का राज.....
उदास मन,उदास मेरा, दिन और रात है।
वजह नजर आती नही, ये कैसी बात है।
या रब खफा है तू ,या खुद से खफा हूँ मै,
समझ नही आता मिली, कैसी, सौगात हैं।
पूछूँ किसे जाकर बताएगा यहाँ अब कौन,
हर दिल का लगे ऐसा ही, मुझको हाल है।
मन की आँख जैसे, मुझे दुनिया दिखे वैसे,
परमजीत तेरी उदासी का बस!यही राज है।
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बहुत सुन्दर. बधाई और स्वागत
ReplyDelete"बहुत बढ़िया लिखा गया है..."
ReplyDeletebahut sundar prastuti...........har dil kaa haal bayan kar diya.
ReplyDeleteग़ज़ल रुपी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.... अंतिम दो लाइनों ने दिल को छू लिया....
ReplyDeleteudaasi hi naye yug kee saugaat hai
ReplyDeletejidhar dekho , udaasi kee hi afratafree machi hai...
bahut hi achhi gazal
meri bhawna meri beti ke naam se post ho gai hai, khushi meri beti
ReplyDeleteजो अन्दर है वही बाहर दिखता है।
ReplyDeleteUdaasee ko bhee aapane bahuta hee sahajataa ke saatha shabdon men bandha hai---sundar rachanaa.
ReplyDeletePuunam
सुन्दर है ।
ReplyDeleteमान के बातें जैसी देखें आखें वैसी...सच कहा...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
sabke dil ka haal sunati ye rachna khoobsurat adaaz. badhayi.
ReplyDeleteये अँधेरे उजालों की बात है ,
ReplyDeleteन दिन है न रात है...
प्यार की सौगात है
किस्मत की अपनी जात है ...
बहुत अही लिखा आप न्रे.
ReplyDeleteधन्यवाद
सारी उदासी का राज़ अंतिम शे’र में छिपा है।
ReplyDeleteBAHUT KHUB
ReplyDeleteBADHAI AAP KO IS KE LIYE
वाह, क्या बात है "जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखीं तीन तैसीं "
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
बहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteमन की आँख जैसे, मुझे दुनिया दिखे वैसे
परमजीत तेरी उदासी का बस! यही राज़ है.
यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं. बधाई.
महावीर शर्मा
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
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