हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Saturday, June 26, 2010
एक भीगी - सी याद..- पिताजी की पुण्य तिथि पर...
नींद उड़ जाती है जब जिक्र तेरा होता है।
अकेला जब होता है दिल, बहुत रोता है।
उदास रातों मे अक्सर नजर आता है तू,
ये हादसा क्यूँ बार बार, मेरे संग होता है।
कौन देगा जवाब अब ,मेरे सवालों का,
तू अब चैन से बहुत दूर कहीं सोता है।
मेरे हरिक दुख को सुख मे बदलने वाले,
इतना नाराज कोई, अपनो से होता है।
या खुद आ या बुला मुझको पास अपने,
परमजीत से अब नही इन्तजार होता है।
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आपके पिता जी की पुण्य तिथि पर हमारी ओर से श्रधा सुमन अर्पित हैं ।
ReplyDeleteबेशक, मात पिता की आपूर्ति कभी नहीं हो सकती ।
हमारी और से भी श्रधांजलि ...
ReplyDelete"अत्यंत भावुक रचना......."
ReplyDeleteaapke pitaji ko hamari taraf se shraddha suman.
ReplyDeleteआप के पिता जी की इस पुन्य तिथि पर हमारी तरफ़ से भाव भीनी श्रधांजलि!!!
ReplyDeleteमै अपने पिता की अंतिम समय मै कोई सेवा नही कर पाया, ओर उन से मिल भी नही पाया, सच कहते है कि जब मां बाप की याद आती है तो दिल रो रो उठता है.
dil ko chhuti rachna........aapke pita ko meri bhi shradhhanjali..:)
ReplyDeleteआपके पिता जी को भावुक श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteश्रध्धांजली.......
ReplyDeleteसच ही है माता पिता कि कमी कोई पूरी नहीं कर सकता. पिता जी कि पुण्य तिथि पर उनको श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteaankhen bhigo di....vakai pita ke jane ke baad khud ko kitna akela, besahara mehsoos karte hain ham.....
ReplyDeleteअति सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteसच्ची श्रधांजलि.. उन तक भी यह पहुंची होगी..
सच है माता-पिता के जैसा कोई नहीं ही सकता..
उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती.
मेरे दादा जी के गुजर जाने के बाद, मेरे पिता जी ने एक ही वाक्य कहा था... "बेटा, आज मेरे सर से एक साया चला गया...".
जबकि पिता जी खुद ५५-६० साल के थे... किन्तु तब भी उन्हें दादा जी का साया लगता था...
माता-पिता सदैव बच्चों के लिए होते हैं.. चाहे बच्चे कितने भी बड़े हो जाएँ..
हमारी भी श्रधांजलि...
जयंत
बाली जी ,
ReplyDeleteमाता -पिता पर लिखी हर रचना अतुलनीय होती है .....
श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ ......!!
कौन देगा जवाब अब ,मेरे सवालों का,
ReplyDeleteतू अब चैन से बहुत दूर कहीं सोता है।
bhavuk kar dene wali rachna..
Parents are our best guide, companion and friends.
vo mata pita bhut khuskismt hote hai jinhe unki sntan is trha yad krti hai vrna aajkl to smy ki kmi ki duhai dekr log bmushkil terhvi tk aansu bhate hai .
ReplyDeleteaapke pitaji ki punytithi pr bhavbhini shrdhanjli .
हमारी ओर से श्रधा सुमन अर्पित हैं ।
ReplyDeleteहमारी ओर से श्रधा सुमन अर्पित हैं ।
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना ...
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