हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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बहुत खूब
ReplyDeleteआशा का दीप जलते रहना चाहिये। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत खूब सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,
वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मुक्तक...
लाजवाब!!!
सादर
अनु
जाजवाब..्सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआस का प्रकाश बना रहे।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteआशा ही है जो जीवंत बनाए रखती है ... सुंदर मुक्तक
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक.
ReplyDeleteबधाई बाली जी.
आशा का दीपक जलता रहे ।
ReplyDeleteसुंदर मुक्तक, संकट में राह दिखाता सा ।
दिया तले अधेरा पर सभी को प्रकास देने की कवायद उत्तम प्रस्तुति
ReplyDeleteयूनिक तकनीकी ब्लाग
बहुत खूब
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