सिर्फ यादो के सहारे जो जिया जाता।
बिन सुई-धागे गर कुछ सिया जाता ।
जिन्दगी कितनी हसीं हो जाती,
रोशन बिना बाती ये दीया होता।
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याद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
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याद उनकी क्यों जाती ही नही |
आँख को कोई शै भाती ही नही।
या रब बता ये माज़रा क्या है,
अपने लिए बहार आती ही नही।
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घर उनका है समां उनका है
दरों दिवारो पे तस्वीरें उनकी।
हमें मालुम ना था जाने के बाद उनके,
साया उनका अभी यही रहता है।
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कुछ लोग जबरदस्ती मेहमां बन आते हैं।
ना चाहते हुए भी दिल में बस जाते हैं।
ऐसे मेहमा से कोई पीछा छुड़ाए कैसे,
दीमक बन खोखला कर जाते हैं।
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उन के सपनों में हम कभी आते हैं के नही।
हम से सच बात दिल की बताते हैं के नही।
इसी सोच मे बीती है जिन्दगी अपनी,
अभी आते हैं, कह रहे है, आते हैं के नही।
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सीधी-साधी सुपठनीय.
ReplyDeletehar shabd bahut hi bhavpurna..........kya nhi kaha apne ismein,sab kuch kah diya.
ReplyDeletekuch yadein aisi hi hoti hain......baar baar jakar phir laut aati hain..........kuch ghar unhein khas pasand hote hain.
बहुत बढ़िया पठनीय रचना ..बधाई.
ReplyDeleteaadarniya bali ji
ReplyDeletemere paas taarif karne ke liye shabd nahi hai ..
याद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
kya behatreen likha hai ..
wah ji wah
dil se badhai sweekar karen
बहुत दिलकश रचनाएँ है आपकी बाली जी...बधाई..
ReplyDeleteनीरज
अभी आते हैं कह रहे हैं, आते हैं कि नहीं....क्या अदा है भाई!! छा गये. बहुत खूब सारे मुक्तक.
ReplyDeleteवाह-वाह!
ReplyDeleteबहुत बढिया रही
ReplyDeleteआपकी ये बेवफाई ।
हर मुक्तक बहुत बढिया है.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteAdarnneeya Bali ji,
ReplyDeletebahut saral bhasha ke sath gathe huye shilp men likhe gaye muktak hain.badhai sveekaren.
Hemant Kumar
अलग ही अंदाज़ है आपका !
ReplyDeleteप्रिय परमजीत,
ReplyDeleteइस चिट्ठे पर आना हमेशा ही एक सुखद अनुभव रहा है. मैं अभी भी वे दिन नहीं भूला जब यह चिट्ठा चालू हुआ था. क्या सुखद दिन थे, क्या सुखद अनुभव था.
इस मर्मस्पर्शी रचना के लिये आभार !!
सस्नेह -- शास्त्री
Respected Baliji,
ReplyDeletebahut achchhe muktakon ke liye badhai...
mn ke andar.....
ReplyDeletekaheeN gehre-si nikli hui kisi
bhaavnaatmak tees ka sundar izhaar
achhe miktak . . . .
badhaaee............
---MUFLIS---
वाह्।बहुत सुंदर्।
ReplyDeleteयाद उनकी जब भी आती है|
ReplyDeleteबेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
बेवफा तो बेवफा होते हैं उनसे कैसे शिकायत, आपने बहुत सुंदर कविता लिखी है
कशमकश से भरी रचना
Bali ji tusi te baija baija kar diti ji...Bdhaiyan ji bdhaiyan...! pr tusi eh tasveer bdal deo te meharbani hovegi...!!
ReplyDeleteप्रेम ऐसा ही होता है.- बेवफा के लिए भी बावाफाई
ReplyDeleteवाहजी.. वाह.... वाहवा ...क्या बात है..!!
ReplyDeletebahutbahdiya hai. agar kabhi waqt mile to mere blog par bhi aayen
ReplyDeletewww.salaamzindadili.blogspot.com
har muktak apni pahchaan rakhti hai aur dil tak utarti hai.....
ReplyDeletesabhi muktak behad umda ........ bahot khub likha hai aapne... dhero badhai sahab aapko...
ReplyDeletearsh
बहुत सुंदर मुक्तक हैं। बधाई।
ReplyDeleteमहावीर शर्मा
is dard ki dwa nhi koi
ReplyDeletejis kisi ne ki mohbbat whi aankh roi.
... बहुत खूब!!
ReplyDeleteकुछ लोग जबरदस्ती मेहमां बन आते हैं
ReplyDeleteन चाहते हुए भी दिल में छ जाते हैं
........सुन्दर !!!
क्या उनको भी याद हमारी आती है,
ReplyDeleteबेवफाई की है यह बात सताती है..?
बहुत अच्छे मुक्तक !
बेहतरीन मुक्तक हैं, बाली जी। पढ़ कर आनंद आगया।
ReplyDeleteयाद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
याद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|
क्षमा कीजिएगा पिछले दिनों आ न सका । आपके मुक्तक पढ़े आप बहुत ही अच्छा लिख रहे हैं बधाई।
ReplyDeleteFantastic!
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