हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
आप जो लिखने के लिये डिब्बा चुनते हैं तो दो तरह के डिब्बे दिखाई देते हैं एक सफेद और दूसरे जिनमें दुनिया का नक्शा बना है। आप नक्शे वाला डिब्बा चुनें और हिंदी कापी पेस्ट करें।
टून डू मे दो तरह के टेक्स्टबाक्स होते है, एक जो आपने सिलेक्ट किया है, दूसरे पर ग्लोब बना होता है(वो इस टेक्स्टबाक्स के नीचे होता है) वो वाला सिलेक्ट करिए, अपना हिन्दी का लिखा, कापी पेस्ट करिए, आपका कार्टून हिन्दी मे दिखने लगेगा।
जगदीश जी व जितेन्द्र जी,आप के कहे अनुसार करने पर मुझे हिन्दी को वहाँ पेस्ट करने पर ड्ब्बे-से नजर आते हैं या ? प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगते हैं। कृपया बताए कौन -सा हिन्दी का सोफ्टवैयर इस्तमाल करूँ?मै बराह प्रयोग करता हूँ।
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'टूनडूज' के बारे में जानकर अच्छा लगा। आप इसे प्रयोग कर रहें हैं, अपना अनुभव बताइये। हिन्दी के लिये यह किस प्रकार से उपयोगी हो सकता है, सोचा जाय!
ReplyDeleteआप जो लिखने के लिये डिब्बा चुनते हैं तो दो तरह के डिब्बे दिखाई देते हैं एक सफेद और दूसरे जिनमें दुनिया का नक्शा बना है।
ReplyDeleteआप नक्शे वाला डिब्बा चुनें और हिंदी कापी पेस्ट करें।
टून डू मे दो तरह के टेक्स्टबाक्स होते है, एक जो आपने सिलेक्ट किया है, दूसरे पर ग्लोब बना होता है(वो इस टेक्स्टबाक्स के नीचे होता है) वो वाला सिलेक्ट करिए, अपना हिन्दी का लिखा, कापी पेस्ट करिए, आपका कार्टून हिन्दी मे दिखने लगेगा।
ReplyDeleteअब जल्दी से अगला कार्टून भी बना डालिए।
अब इसी को हिंदी में कर डालिये।
ReplyDeleteजगदीश जी व जितेन्द्र जी,आप के कहे अनुसार करने पर मुझे हिन्दी को वहाँ पेस्ट करने पर ड्ब्बे-से नजर आते हैं या ? प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगते हैं। कृपया बताए कौन -सा हिन्दी का सोफ्टवैयर इस्तमाल करूँ?मै बराह प्रयोग करता हूँ।
ReplyDeleteपरमजीत जी,
ReplyDeleteपहले आप बारहा से नोटपैड पर हिन्दी लिखें फिर उसे कट पेस्ट कर चिपकाएँ. संभवतः समस्या सुलझ जानी चाहिए.
रवि जी, नोट पेड पर बराह से लिखने पर भी डिब्बे बन जाते हैं।बताएं क्या करूँ?
ReplyDeleteआपने लिखा: "रचनाकार परमजीत बाली की विनम्र निवेदन-इस ब्लोग पर प्रकाशित कोई भी रचना बिना अनुमति कही अन्यंत्र प्रकाशित ना करें।"
ReplyDeleteलेकिन आपका चिट्ठा कहता हैळ्
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कहीं कुछ अनदेखा तो नहीं रह गया ???