हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
(मीनाक्षी जी) आप को कुछ समय और इंतजार करना होगा क्यूँकि मेरा कम्पयूटर कुछ खराब हो गया है।ठीक होते ही "साधना" नाम से लिखे जाने वाले चिट्ठे पर आप को गुरू नानक देव झि लिखित शबद पढ ने को मिलेगें।
(रचना जी) लंगर व प्रसाद की व्यवस्था आप के निकट के गुरूद्वारे में आज अवश्य होगी। कृपया वहाँ पधारें।
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आपको भी बहुत बहुत बधाई. एक प्रार्थना.
ReplyDeleteगुरु नानक देव जी सबका कल्याण करें.
परमजीत आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसंजय गुलाटी मुसाफिर
आपको भी शुभकामनाएँ ! कुछ शबद भी पोस्ट करते तो आनन्द दुगना हो जाता है. मैं खोज रही हूँ...
ReplyDeleteपरमजीत जी आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeletelangar aur kadhaa prasad dono mil jaate to hum bhi janam din manatey. aap ko shubhkamnae
ReplyDelete(मीनाक्षी जी) आप को कुछ समय और इंतजार करना होगा क्यूँकि मेरा कम्पयूटर कुछ खराब हो गया है।ठीक होते ही "साधना" नाम से लिखे जाने वाले चिट्ठे पर आप को गुरू नानक देव झि लिखित शबद पढ ने को मिलेगें।
ReplyDelete(रचना जी) लंगर व प्रसाद की व्यवस्था आप के निकट के गुरूद्वारे में आज अवश्य होगी। कृपया वहाँ पधारें।
आपको भी बहुत-2 बधाई…।
ReplyDeleteमेरी ओर से भी कुछ दुआएं मांग लीजिएगा…।
परमजीत जी आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं
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