हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
आज मैने एक कहानी एक चिट्ठाकार शंमा जी की पोस्ट पर पढी । बहुत अच्छी लगी । शायद आप भी पसंद करे यही सोच कर उस का लिकं यहाँ दे रहा हूँ कृपया नीले पीळे फूळ पर किल्काएं -नीले पीले फूल
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ठीक है, जाते हैं.
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