हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
ह्म्म, बढ़िया।दर असल हेडिंग देखकर ही मै यहां आया क्योंकि मै अभी शाम में ऐसी घटना का साक्षी ही नही बल्कि एक पात्र रहा हूं। मेरे पड़ोसी के कुत्ते(जर्मन शेफ़र्ड) ने एक पांच साला बच्ची को दबोच कर उसके कान और गले को अपने जबड़े मे दबोच लिया, चार-पांच लोगों ने छुड़ाने की कोशिश की पर नाकाम रहे, अंत मे मैने खुद कुत्ते के दोनो जबड़े को अपने हाथों से पकड़ कर फ़ैलाया तब जाकर वो बच्ची छूटी। फ़िर उसे अस्पताल ले गया, वहां उसे आई सी यू में चौबीस घंटे के लिए ऑबजर्वेशन में रखा गया है! नन्ही सी बच्ची, सिर्फ़ उस सड़क से पैदल गुजर ही तो रही थी वह!!
संजीत आपने एक बहुत ही नेक काम किया है एक बच्ची को बचाकर...एसी घटनाये अक्सर होती ही रहती है मगर कोई भी इतना बहादूरी का काम नही कर पाता...सभी को अपने जान-माल की फ़िक्र पहले रहती है...
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:)
ReplyDeleteभाई बढ़िया कार्टून बनाते हो…।
ReplyDelete:) :)
बहुत बढिया और हृदय स्पर्शी
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
ह्म्म, बढ़िया।दर असल हेडिंग देखकर ही मै यहां आया क्योंकि मै अभी शाम में ऐसी घटना का साक्षी ही नही बल्कि एक पात्र रहा हूं। मेरे पड़ोसी के कुत्ते(जर्मन शेफ़र्ड) ने एक पांच साला बच्ची को दबोच कर उसके कान और गले को अपने जबड़े मे दबोच लिया, चार-पांच लोगों ने छुड़ाने की कोशिश की पर नाकाम रहे, अंत मे मैने खुद कुत्ते के दोनो जबड़े को अपने हाथों से पकड़ कर फ़ैलाया तब जाकर वो बच्ची छूटी। फ़िर उसे अस्पताल ले गया, वहां उसे आई सी यू में चौबीस घंटे के लिए ऑबजर्वेशन में रखा गया है! नन्ही सी बच्ची, सिर्फ़ उस सड़क से पैदल गुजर ही तो रही थी वह!!
ReplyDelete:) अच्छा कार्टून है भैया...
ReplyDeleteसंजीत आपने एक बहुत ही नेक काम किया है एक बच्ची को बचाकर...एसी घटनाये अक्सर होती ही रहती है मगर कोई भी इतना बहादूरी का काम नही कर पाता...सभी को अपने जान-माल की फ़िक्र पहले रहती है...
ReplyDeleteसुनीता(शानू)