हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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सभी कुछ तो सांकेतिक है, एक बहाना बन जाता है उत्साह दर्शाने का. :)
ReplyDeleteहाँ, शायद वो वक़्त भी जल्दी ही आएगा..:)
ReplyDeleteये भी सही है और वो भी सही है।
ReplyDeletebilkul sahi kha sir aapne.
ReplyDeleteबहुत बढिया ! आपके और हमारे विचार मिलते-जुलते हैं।
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