इस जमानें की ना करो बात मुझे पीने दो
तन्हा ही ख्वाबों में मुझे जीनें दो
प्यार के बदले दिया क्या सितमगर यारों ने
ना पूछो दांस्ता-ए-इश्क होंठ सींने दो
बहुत देर में दर्दे दिल की दवा पाई है
बेवफा के लिए बहुत आँख बहाई है
अब तो दूर ही रखो इन हसीनों को
इस जमानें की ना करो बात मुझे पीनें दो।
अब क्या कहें, पियो भाई. :)
ReplyDeleteपियो रहे भाई!
ReplyDeleteअरे भाया,अकेले पीनें मे क्या मजा आवेगा।हम को भी याद कर लेते।एक आध पैग हम भी ले लेते। कौन सुसरी तुम जैसे पियक्ड़ के पीछे आवेगी?
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