हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
Saturday, May 12, 2007
माया की छाया
आज ज्यादातर सभी चिट्ठाकार माया पुराण की कथा बाचंने मे लगे हुए हैं।इस लिए हमनें भी सोचा,चलों आज सभी अपनें-अपने विचार रख रहे हैं तो हम क्यों पीछे रहें। सो भाई, अपना विचार तो यह है कि इस में माया की माया ने नहीं मतदाताओं की जागरूगता व होशियारी ने यह कमाल किआ है। उन्होनें आखिर तक नेताओं को भ्रम मे डाले रखा।खास तौर से सोनिया परिवार को।जिन्हे देखनें को अपार भीड़ उमड़ पड़्ती थी। सभी नेताओ के बडे-बडे दावों की हवा निकाल दी। इन मतदाताओं से अब नेताओं को सावधान हो जाना चाहिए।वह भी अब नेताऒं की कथनी और करनी का फर्क समझने लगें हैं।अगर यह चमत्कार संयोग से नहीं हुआ और मतदाता सच में होशियार हो चुका है तो आनें वाला समय़ देश को निश्चय ही प्रगति के रास्ते पर ले जाएगा।उस के लिए अब मायावती को कुछ करके दिखाना होगा। वर्ना मतदाता फिर भ्रमित हो जाएगा ।कहिए आप क्या सोचते हैं?
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भये मुझे तो लगता है "सब घट एक समान"
ReplyDeleteसुनीता(शानू)
आप काफी आशावादी हैं.....मुझे तो उम्मीद कम ही लगती है....
ReplyDeleteतथास्तु !
ReplyDeleteघुघूती बासूती