मेरी बेटी और डेरा सच्चा सौदा चुनतंन जी का लेख अभी पढ कर हटा था कि मेरी भतीजी भी यही समस्या लेकर आ गई। वह अभी-अभी अपनी गेंद लेकर बाहर खेल रही थी कि उस की गेंद पड़ोस मे रहने वाले रिंकू ने ले ली ।उस ने बताया कि पहले तो रिंकू उस की गेंद लेकर उसी के साथ खेल रहा था लेकिन पता नही उसे अचानक क्या हुआ कि वह मेरी गेंद को अपनी बताने लगा है।
मैने कहा "कोई बात नही कुछ देर बाद हम उसे समझा देगें कि गेंद खेल कर वापिस कर देना।यह तुम्हारी नही है हमारी बिटिया की है। वह वापिस कर देगा।"
लेकिन भतीजी बोली-"मैनें भी यही समझा था कि वो गेंद वापिस कर देगा । लेकिन वह तो मेरी गेंद को अपनी बता कर कल सभी दोस्तो से कहेगा कि यह तो मेरी ही थी तो क्या होगा ? समय निकलने के बाद क्या मेरे दोस्त भ्रमित नही होगें ?" मेरे पास उस के सवाल का कोई जवाब नही है क्या आप बताएंगें इस का जवाब ?
बात तो यह भी सोचने वाली है...
ReplyDeleteगुरु नानक देव जी ने काह था,तेरा ही तेरा, ::तेरा तुज को सोपते कया लगेय मेरा:: हम गुरु को तो मानते हय, लेकिन गुरु का कहना नही मानते, गुरुदुबरे,मन्दिर,मस्जिद... तो जाते हे लेकिन मन से नही,तन से जाते हे, बस परमजीत जी इसी मे हे आप का जबाब
ReplyDeleteप्रतीकात्मक कहानी के द्वारा बात अच्छी तरह रखी है आपने.
ReplyDeleteयह भी अंदाज पसंद आया…!!!
ReplyDeleteभाई, आपकी बात समझ आती है । पर सब अपने लोग हैं । जिन्होंने अपने धर्म को समझा है वो जल्दी भ्रमित नहीं होते । बाकी लोगों को समझाने की जरूरत है तो वो शांतिपूर्ण तरीके से हो सकती है । जो आज हो रहा है वो निंदनीय है। ये हिंसा, उन महान धर्मगुरुओं के चित्त में शांति तो नहीं ही पहुँचाएगी ।
ReplyDeleteआज कल सच कहाँ है ....जिसे देखो दूसरे की चीज़ पर अधिकार करने की सोचता है
ReplyDeleteGifts for Valentines Day
ReplyDeleteValentines Day Flowers Online
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